हज़ारों खरीदारों का नुकसान करने वाले बिल्डर-बैंक गठजोड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम

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<p style="text-align: justify;">बिल्डर और बैंकों की सांठ-गांठ से निवेशकों को पहुंचे नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ा रवैया अपनाया है. कोर्ट ने सीबीआई से कुल 7 प्राथमिक जांच केस दर्ज करने को कहा है. मामले की तह तक जाने का संकेत देते हुए कोर्ट ने कहा है कि वह हर महीने इसे सुनेगा. सीबीआई उसे स्टेटस रिपोर्ट देती रहे.</p>
<p style="text-align: justify;">जिन 7 मामलों पर सीबीआई प्राथमिक जांच केस दर्ज करेगी, वह हैं :-<br />1. सुपरटेक के प्रोजेक्ट<br />2. दूसरे बिल्डरों के दिल्ली-एनसीआर से बाहर के प्रोजेक्ट (इनमें मोहाली, कोलकाता, मुंबई, बंगलुरू, इलाहाबाद जैसे शहरों के प्रोजेक्ट शामिल हैं)<br />3-7. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस वे, गाज़ियाबाद और गुरुग्राम ऑथोरिटी के दायरे में आने वाले प्रोजेक्ट</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि आखिर किसी बिल्डिंग की एक ईंट पड़े बिना बैंक कैसे 60 से 80 प्रतिशत तक लोन ट्रांसफर कर दे रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए खरीदारों को बिना वजह समस्या में डाला जा रहा है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह इस गठजोड़ की जांच सीबीआई से करवाएगा और जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे, उन्हें पाताल से ढूंढ कर दंड दिया जाएगा. कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि वह सीबीआई से बात करें. दो सप्ताह में सीबीआई प्रस्ताव दे कि वह किस तरह से इस मामले की जांच कर सकता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है मामला?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">देश भर के लगभग 1200 फ्लैट खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में 170 याचिकाएं दाखिल की थीं. सभी याचिकाकर्ताओं ने बताया था कि बिल्डर की तरफ से की गई देरी के चलते उन्हें अब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है. लेकिन बैंक उन्हें ईएमआई चुकाने के लिए मजबूर कर रहा है. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने पाया कि आधे-अधूरे बिल्डिंग प्रोजेक्ट के लिए भी बैंक सबवेंशन स्कीम के तहत बिल्डर के खाते में 60 से 80 प्रतिशत तक लोन राशि का भुगतान कर दे रहे हैं. जब बिल्डर ईएमआई का भुगतान नहीं करता, तब खरीदार पर इसका दबाव बनाया जाता है. जो 1200 खरीदार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, उनमें से लगभग 800 अकेले सुपरटेक के 6 शहरों में फैले प्रोजेक्ट के थे. यही कारण है कि सुपरटेक के प्रोजेक्ट की जांच के लिए अलग से केस दर्ज करवाया जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जजों ने क्या कहा?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जजों ने कहा कि पैसे सीधे बिल्डर के खाते में डाले जाते हैं. ऐसा करने से पहले बैंक यह तक नहीं देखता कि प्रोजेक्ट की एक ईंट भी पड़ी है या नहीं? यह बैंक अधिकारियों की तरफ से बिल्डर को फायदा पहुंचाना और उसके बदले खुद भी लाभ कमाने का मामला नहीं तो क्या है? इस तरह बैंक और बिल्डर आपस में मिलीभगत कर निर्दोष खरीदारों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? खरीदारों से उन पैसों का हिसाब मांगा जा रहा है, जो उन्होंने कभी देखे ही नहीं. जो पैसे बैंक ने सीधे बिल्डर के खाते में डाल दिए थे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’सीबीआई की जांच टीमों का सब करें सहयोगी'</strong></p>
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, यूपी, हरियाणा और दूसरी राज्य सरकारों को सीबीआई से पूरा सहयोग करने को कहा है. जजों ने यूपी और हरियाणा के डीजीपी से सीबीआई की ज़रूरत के मुताबिक पुलिस बल उपलब्ध करवाने को कहा है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, रिज़र्व बैंक, यूपी और हरियाणा रेरा और जांच के दायरे में आने वाली 5 अर्बन ऑथोरिटी से अपनी-अपनी तरफ से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के लिए कहा है. यह नोडल अधिकारी सीबीआई को जांच में मदद देंगे. इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से कहा गया है कि वह फोरेंसिक ऑडिट की जानकारी रखने वाले 3 चार्टर्ड अकाउंटेंट सीबीआई की सहायता के लिए भेजे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : <a href=" के चक्रव्यूह में फंसेगा PAK! यूएन से लेकर UNSC तक विदेश मंत्री ने दे दिया पीएम मोदी का मैसेज</a></strong></p>

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