<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (27 नवंबर, 2024) को कहा कि प्रवर्तन निदेशायल की दोषसिद्धि दर बहुत खराब है. ऐसे में कितने लंबे समय तक आरोपी अंडरट्रायल रहेंगे. कोर्ट पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. पार्थ चटर्जी ढाई साल से जेल में बंद हैं और उनका ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुआ है. उन्होंने कोर्ट में जमानत की अर्जी देते हुए कहा कि उन पर मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है और ढाई से वह जेल में हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, ‘अगर हम जमानत नहीं देंगे तो क्या होगा? मुकदमा अभी शुरू भी नहीं हुआ है, मामलों में 183 गवाह हैं. मुकदमे में समय लगेगा… हम उन्हें कब तक रख सकते हैं? यही सवाल है. यहां एक मामला है जहां दो साल से अधिक समय बीत चुका है. ऐसे में कैसे बैलेंस बनाया जाए.’ बेंच ने कहा कि वह इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती कि पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">कोर्ट ने पूछा, ‘मिस्टर राजू, अगर आखिरकार वह (चटर्जी) दोषी नहीं ठहराए जाते हैं तो क्या होगा? ढाई-तीन साल तक इंतजार करना कोई छोटी अवधि नहीं है. आपकी दोषसिद्धि की दर क्या है? भले ही यह दर 60-70 प्रतिशत हो, हम समझ सकते हैं लेकिन यह बहुत खराब है.’ पार्थ चटर्जी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि पूर्व मंत्री को 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह 73 साल के हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि 183 गवाह और चार पूरक अभियोजन शिकायतें हैं. मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि चटर्जी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम सजा का एक तिहाई से अधिक हिस्सा पहले ही काट चुके हैं, जिसमें सात साल की कैद हो सकती है. उन्होंने कहा कि दूसरे कैदी को बेल मिल रही है. उस महिला को भी दो दिन पहले जमानत दे दी गई, जिसके घर से पैसे मिले थे और वह भी आरोपी थी.</p>
<p style="text-align: justify;">मुकुल रोहतगी की दलीली पर एस. वी. राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि पार्थ चटर्जी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त थे, जिससे 50,000 से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए. एएसजी राजू ने कहा कि पार्थ चटर्जी जमानत के हकदार नहीं हैं क्योंकि वह बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और रिहा होने पर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने पार्थ चटर्जी पर अनुकूल चिकित्सा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए डॉक्टरों को प्रभावित करने का आरोप लगाया और कहा कि सह-अभियुक्त अर्पिता मुखर्जी ने बताया था कि पैसा आवेदक का था. सुप्रीम कोर्ट पार्थ चटर्जी को जमानत देने के संकेत दिए, लेकिन सुनवाई 2 दिसंबर तक के लिए टाल दी है.</p>
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‘मिस्टर राजू, ढाई जेल में हो गए, अगर निर्दोष हुए तो…’, बंगाल के पूर्व मंत्री की जमानत पर SC

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