Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में 5 मई को उस एक याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है, जिसमें बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है. आरोप है कि दुबे ने कथित तौर पर देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय टिप्पणी की थी.
इस सप्ताह संभावित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध याचिका में अदालत की गरिमा पर हमले के मामले में अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई है. इसमें सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय गृह मंत्रालय को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को राजनीतिक नेताओं की ओर से नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ भाषणों पर अंकुश लगाने के लिए एक सलाह जारी करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है, खासकर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संबंध में.
क्या है मामला?
मामले को लेकर विवाद तब हुआ जब बीजेपी सांसद ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम को संभालने के तरीके पर टिप्पणी की थी. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है. अगर सब कुछ वहीं तय होना है तो संसद को बंद कर दीजिए.” उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायपालिका धार्मिक कलह को भड़का रही है और सीजेआई पर गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया.
उन्होंने आर्टिकल 377 पर अदालत के फैसले की भी आलोचना की और दावा किया कि इसने विधायी शक्तियों का अतिक्रमण किया है. उन्होंने कहा, “आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं.”
निशिकांत दुबे की टिप्पणी से बीजेपी ने किया किनारा
बीजेपी ने दुबे की टिप्पणियों से तुरंत खुद को अलग कर लिया. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह टिप्पणी दुबे की निजी राय थी और बीजेपी अदालत का पूरा सम्मान करती है. उन्होंने पार्टी नेताओं को इस तरह के बयान देने से भी आगाह किया. निशिकांत दुबे को सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के बारे में अपनी टिप्पणी के बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है.
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