कैदी की अर्जी पर SC ने ममता सरकार को लगाई क्लास- आरोपियों के लिए अलग-अलग सजा की अनुमति नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (20 नवंबर, 2024) को करीब डेढ़ साल से जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है.कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को अलग-अलग आरोपियों के लिए अलग-अलग मानदंड लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. एक ही मामले में जेल में बंद पांच आरोपियों के लिए राज्य सरकार का रवैया अलग क्यों हैं. चार कैदियों की अग्रिम जमानत का विरोध नहीं किया गया, लेकिन एक आरोपी की अग्रिम जमानत के आदेश को चुनौती दी, जबकि न्यायालय ने इस संबंध में सुझाव भी दिया था कि एनडीपीएस अधिनियम से जुड़े मामलों में अग्रिम जमानत देना एक बहुत गंभीर मुद्दा है.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक आरोपी की जमानत याचिका का विरोध कर रही है, जो करीब एक साल  दो महीने से जेल में बंद है. बेंच ने कहा, ‘राज्य सरकार को अलग-अलग आरोपियों के लिए अलग-अलग मानदंड लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’
सुप्रीम कोर्ट एक व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर विचार कर रही थी. आरोपी के खिलाफ अक्टूबर 2023 में एक मामला दर्ज किया था, जिसके लिए उसने नियमित जमानत का आग्रह किया था और कलकत्ता हाईकोर्ट ने उसकी यह अर्जी इस साल जुलाई में खारिज कर दी. आरोपी ने हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती दी थी.
बेंच ने कहा कि इस मामले में 19 सितंबर को पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एनडीपीएस अधिनियम से जुड़े मामलों में अग्रिम जमानत देना एक बहुत गंभीर मुद्दा है. कोर्ट ने कहा कि इसलिए अदालत ने राज्य सरकार को यह विचार करने का निर्देश दिया था कि क्या वह अन्य चार सह-आरोपियों को दी गई जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दायर करने की मंशा रखती है.
बुधवार को सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य सरकार चार सह-आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने का प्रस्ताव नहीं रखती. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एनडीपीएस अधिनियम से संबंधित गंभीर अपराध में संलिप्त था. पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि चीजें स्पष्ट हैं, यह सब मिलीभगत से हो रहा था.
कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘इस मामले को देखते हुए हम आवेदन स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. याचिकाकर्ता को निचली अदालत की संतुष्टि के अनुसार जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस आधार पर नियमित जमानत का अनुरोध किया था कि चार अन्य आरोपियों को पहले ही अग्रिम जमानत का लाभ दिया जा चुका है.
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