बिहार लोक सेवा आयोग यानी BPSC के चेयरमैन मनु भाई परमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिका में कहा गया था कि मनु परमार जब IAS थे, तब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में विजिलेंस जांच बैठी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि यह केस 2022 में रद्द हो चुका था.
ब्रजेश सिंह नाम के वकील की याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार ने एफआईआर की उपेक्षा की. वह इस पद के अयोग्य थे, लेकिन 15 मार्च, 2024 को मनु परमार को इस पद पर नियुक्त कर दिया. इस साल फरवरी में हुई सुनवाई में जस्टिस पी एस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला को मामले में सहायता के लिए एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया था.
शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को हुई सुनवाई में एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को यह जानकारी दी कि मनु परमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर में मुकदमे की अनुमति देने से 2017 में राज्य सरकार ने मना कर दिया था. 2022 में निचली अदालत ने मुकदमा रद्द कर दिया था. याचिकाकर्ता को यह तथ्य पता नहीं था. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. शुरू में जजों ने 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाने की बात कही, लेकिन बाद में बिना हर्जाना लगाए याचिका खारिज कर दी.
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