सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने फेमा के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से उनके ऊपर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये का जुर्माना देना था. ललित मोदी को ये जुर्माना बीसीसीआई को अदा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. हालांकि, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि ललित मोदी को कानून के अनुसार उपलब्ध उपायों का लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा.
19 दिसंबर, 2024 को मुंबई हाई कोर्ट ने ललित मोदी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था और उनकी वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन पर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान बीसीसीआई को करने का आदेश देने का अनुरोध किया था.
न्यायिक प्राधिकरण ने लगाया था जुर्माना
हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिका पूरी तरह से भ्रामक है, क्योंकि फेमा के तहत न्यायिक प्राधिकरण ने ललित मोदी पर जुर्माना लगाया था. ललित मोदी ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इस दौरान वह बीसीसीआई की एक उपसमिति, इंडियन प्रीमियर लीग शासी निकाय के अध्यक्ष भी थे. याचिका में दावा किया गया कि बीसीसीआई को उपनियमों के अनुसार उन्हें क्षतिपूर्ति देनी चाहिए.
2005 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया था हवाला
हाई कोर्ट की पीठ ने 2005 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बीसीसीआई संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत परिभाषित ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है. हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद ललित मोदी ने 2018 में यह याचिका दायर की.
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
हाई कोर्ट ने कहा था, ‘ईडी द्वारा याचिकाकर्ता (ललित मोदी) पर लगाए गए जुर्माने के संदर्भ में याचिकाकर्ता की कथित क्षतिपूर्ति के मामले में किसी सार्वजनिक कार्य के निर्वहन का कोई सवाल ही नहीं है और इसलिए, इस उद्देश्य के लिए बीसीसीआई को कोई रिट जारी नहीं की जा सकती.’
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