‘जब एक बार सहमति से तलाक का आवेदन दे दिया तो फिर नया केस दर्ज करवाना गलत’, बोला सुप्रीम कोर्ट

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‘जब एक बार सहमति से तलाक का आवेदन दे दिया तो फिर नया केस दर्ज करवाना गलत’, बोला सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court On Husband Wife Relations: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से दाखिल तलाक का आवेदन वापस लेकर पति पर नया केस दर्ज करवाने वाली एक महिला के रवैए को गलत बताया है. पत्नी ने पति के खिलाफ जम्मू में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया था. सुप्रीम कोर्ट ने वह मुकदमा निरस्त कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति ने जम्मू के मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पत्नी की तरफ से दर्ज केस पर उसकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया था. मजिस्ट्रेट ने मामले के सबूतों को देखने की तारीख भी तय कर दी थी. पति का कहना था कि पत्नी ने जो भी आरोप लगाए हैं, वह उस तारीख से पहले के हैं जब दोनों ने आपसी सहमति से तलाक का आवेदन दिया था.
पत्नी फैसले पर ज्यादा समय तक नहीं टिकीजस्टिस सुधांशु धुलिया और के विनोद चंद्रन की बेंच ने मामले के सभी तथ्यों को परखा. जजों ने पाया कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी की शादी 29 मार्च 2018 को हुई थी. दोनों का रिश्ता सही नहीं चल पाया. उन्होंने 9 अक्टूबर 2019 को हिंदू मैरिज एक्ट की धारा के तहत आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी लेकिन पत्नी इस फैसले पर ज्यादा समय तक नहीं टिकी.
पत्नी ने तलाक का आवेदन वापस ले लिया25 जनवरी 2020 को पत्नी ने तलाक का आवेदन वापस ले लिया. 6 फरवरी 2020 को पत्नी ने पति पर घरेलू हिंसा कानून, 2005 की धारा 12 का केस दर्ज करवा दिया. पत्नी ने खुद को प्रताड़ित किए जाने और घर से बाहर निकाल देने का आरोप लगाया. पति ने मजिस्ट्रेट के सामने दलील दी कि अगर यह शिकायत सही भी है तब भी यह घटनाएं उन तारीखों की हैं जो तलाक का आवेदन दाखिल करने से पहले की थीं.
पति का कहना था कि जब रिश्ता सही न चलने के आधार पर आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दाखिल हुई थी, तो उसे छोड़ कर नए सिरे से केस दर्ज करवा देना सही नहीं है. मजिस्ट्रेट ने इस आवेदन को ठुकरा दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की तरफ से दर्ज करवाए गए केस को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया है. जजों ने इस बात को भी नोट किया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नोटिस भेजे जाने के बावजूद पत्नी ने जवाब दाखिल नहीं किया. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की तरफ से दर्ज करवाए गए केस में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही निरस्त कर दी है.
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