‘केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में IPS अधिकारियों की नियुक्ति करें बंद’, सुप्रीम कोर्ट का गृह मंत्राल

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Supreme Court directs Union Home Ministry: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि फोर्सेज की ऑपरेशनल और फंक्शनल जरूरतों को देखते हुए जरूरी है कि कैडर अधिकारियों को सीनियर पदों पर तैनात किया जाए. इसके साथ अर्धसैनिक बलों में आईपीएस अधिकारियों की लैटरल एंट्री से कैडर अधिकारियों को उच्च पदों तक पहुंचने में खासी दिक्कतें आ रही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने अगले दो साल में डेप्यूटेशन पर आने वाले आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति बिल्कुल कम करने का निर्देश दिया है.
अभी केंद्रीय पुलिस बलों में अधिकारियों की नियुक्ति दो तरीके से होती है. असिस्टेंट कमांडेंट से लेकर डीआईजी तक अमूमन कैडर के अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं. आईजी से लेकर महानिदेशक (डीजी) के पदों पर आईपीएस अधिकारी को ही नियुक्त किया जाता है. ये आईपीएस अधिकारी कुछ समय के लिए डेप्यूटेशन पर केंद्रीय नियुक्ति पर आते हैं.
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की जिम्मेदारियां
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के अलावा सशस्त्र सीमा बल (SSB), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) शामिल हैं.
सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की जिम्मेदारी आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाने की है तो पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी BSF की है. नेपाल और भूटान की सुरक्षा की जिम्मेदारी SSB की है और चीन (तिब्बत) से सटी सीमा की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) की है. देश के महत्वपूर्ण संस्थानों और धरोहरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF की है. प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं से लड़ने की जिम्मेदारी NDRF की है.
SSC के जरिए केंद्रीय पुलिस बलों में शामिल होते हैं कैडर अधिकारी
कैडर अधिकारी, सर्विस सलेक्शन कमीशन (SSC) की परीक्षा पास कर केंद्रीय पुलिस बलों में शामिल होते हैं, तो इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) अधिकारी, UPSC की परीक्षा के जरिए राज्यों की अलग-अलग पुलिस में शामिल होते हैं. ये आईपीएस अधिकारी ही कुछ समय के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय पुलिस बलों में सीनियर पदों पर तैनात किए जाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया समीक्षा करने का निर्देश
हाल के सालों में कैडर अधिकारियों की नियुक्ति ADG रैंक तक हुई है. लेकिन ऐसे अधिकारियों की संख्या बेहद कम है. यही वजह है कि कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्य बेंच ने अब गृह मंत्रालय को कैडर रिव्यू करने का निर्देश दिया है.

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