Supreme Court On Ration Card: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 मार्च, 2025) को राशन कार्ड के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है. अदालत ने कहा कि ये सुनिश्चित करना बहुत जरुरी है कि इसका फायदा असली और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे. कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि गरीबों के लिए बने ये कार्ड गैर जरूरी लोगों तक पहुंच रहे हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सब्सिडी का फायदा वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हमारी चिंता यह है कि क्या वास्तव में गरीब लोगों के लिए बने लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं जो इसके हकदार नहीं हैं? राशन कार्ड अब लोकप्रियता का कार्ड बन गया है.”
‘राज्य तो कहते हैं कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ी’
जज ने कहा, “राज्य बस यही कहते हैं कि हमने इतने कार्ड जारी किए हैं. कुछ राज्य ऐसे हैं जो जब अपना विकास दिखाना चाहते हैं तो कहते हैं कि हमारी प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है. फिर जब हम बीपीएल की बात करते हैं तो वे कहते हैं कि 75 प्रतिशत आबादी बीपीएल है. इन तथ्यों को कैसे समेटा जा सकता है? संघर्ष अंतर्निहित है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे.”
अदालत ने कहा कि जब राज्यों से विकास सूचकांक को उजागर करने के लिए कहा गया तो उन्होंने प्रति व्यक्ति उच्च वृद्धि दिखाई, लेकिन सब्सिडी के मामले में दावा किया कि उनकी 75 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है.
किस मामले की हो रही थी सुनवाई?
पीठ कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को दूर करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ये मामला लोगों की आय में असमानता से उपजा है. उन्होंने कहा, “कुछ मुट्ठी भर लोग हैं, जिनके पास अन्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक संपत्ति है और प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा राज्य की कुल आय का औसत है. अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब गरीब ही बने हुए हैं.”
वकील भूषण ने कहा कि सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड गरीब प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन दिए जाने की जरूरत है और यह आंकड़ा लगभग आठ करोड़ है.
‘राशन कार्ड में न हो राजनीति’
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि राशन कार्ड जारी करने में कोई राजनीतिक तत्व शामिल नहीं होंगे. मैंने अपनी जड़ें नहीं खोई हैं. मैं हमेशा गरीबों की दुर्दशा जानना चाहता हूं. ऐसे परिवार हैं जो अभी भी गरीब हैं.” प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र ने 2021 की जनगणना नहीं कराई और 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर भरोसा किया. लगभग 10 करोड़ लोग, जिन्हें मुफ्त राशन की जरूरत है वो बीपीएल कैटगरी से बाहर रह गए.
पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया और केंद्र से गरीबों को वितरित मुफ्त राशन की स्थिति पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. कोर्ट को तब हैरानी हुई जब केन्द्र ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती दर पर राशन दिया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सिर्फ टैक्स पेयर ही इस सुविधा से वंचित हैं.
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