सुखबीर सिंह बादल पर हमला: ईशनिंदा, बेअदबी, सजा और पिस्‍टल से अटैक की पूरी कहानी

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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार (3 दिसंबर, 2024) से अपनी तनखैया की सजा शुरू की और अगले ही दिन उन पर गोलियां चल गईं. 2 दिसंबर को सिख धर्मगुरुओं ने सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक कदाचार का दोषी (तनखैया) पाए जाने के तीन महीने बाद स्वर्ण मंदिर के बाहर सेवादार के तौर पर काम करने की सजा सुनाई. बुधवार को जब वह व्हीलचेयर पर बैठकर गोल्डन टेंपल के बाहर सेवा दे रहे थे तो एक शख्स ने उन पर गोली चलाने की कोशिश की. हालांकि, गोली दीवार में लगी और वह बाल-बाल बच गए. आरोपी का नाम नारायण सिंह बताया जा रहा है.
सिखों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाल दल की पंजाब सकार में साल 2007 से 2017 के बीच दस सालों में की गई गलतियों के लिए सुखबीर सिंह बादल और अकाली दल के अन्य वरिष्ठ नेताओं को  सेवादार के रूप में सेवा करने, स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोने और जूते साफ करने का निर्देश दिया है. इनके अलावा सुच्चा सिंह लंगाह, हीरा सिंह गाबड़िया, बलविंदर सिंह भूंदड़, दलजीत सिंह चीमा और गुलजार सिंह रणिके को स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने और फिर स्नान करने के बाद सामुदायिक रसोई में बर्तन साफ ​​करने का निर्देश दिया है.
किन गलतियों के लिए सुखबीर सिंह बादल को दी गई सजा?2007 से 2017 में शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व की सरकार में लिए गए फैसलों के लिए सुखबार सिंह बादल को सात साल बाद सजा मिली है. उस समय उनके पिता प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे, जबकि सुखबीर सिंह बादल डिप्टी सीएम और गृहमंत्री रहे. अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन्हें जुलाई महीने में ही तनखैया करार दे दिया था. वो कौन सी गलतियां हैं, जिनकी वजह से सुखबीर सिंह बादल की जान पर बन पाई है?
राम रहीम के खिलाफ वापस लिया मामलासाल 2007 में सलबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने अपने अनुयायियों के सामने गुरु गोबिंद सिंह की नकल की थी, जिसके लिए उसके खिलाफ दर्ज मामले को अकाली दल की सरकार ने वापस ले लिया था. राम रहीम ने सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था, जिसे लेकर उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ, लेकिन तत्कालीन सरकार ने केस वापस ले लिया.
राम रहीम को दिलवाई थी माफीश्री अकाल तख्त साहिब ने इस मामले में गुरमीत राम रहमी पर कार्रवाई करते हुए उसे सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था, लेकिन सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और राम रहीम को माफी दिलवाई. इस वजह से सिख पंथ अकाली दल और श्री अकाल तख्त को सिखों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. तब श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस ले लिया. इस घटना के बाद श्री अकाल तख्त और सिख समुदाय ने राम रहीम का बहिष्कार कर दिया, लेकिन शिरोमणी अकाली दल ने संबंध बनाए रखे. 
श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में कार्रवाई न करनासाल 2015 में कुछ लोगों ने फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह के गुरुद्वारे से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई फिर उसी साल अक्टूबर में बरगाड़ी के गुरुद्वारे से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए. इस मामले में तत्कालीन पंजाब सरकार समय रहते जांच नहीं करवा सकी और न ही दोषियों को सजा दिलवाई, जिस वजह से हालात बिगड़ गए और दुखद घटनाएं हुईं. उस समय सुखबीर सिंह बादल पंजाब के गृहमंत्री थे. 
सुमेध सैनी को पंजाब डीजीपी बनायासुखबीर सिंह बादल पर यह भी आरोप है कि उनकी सरकार में सिखों की हत्या करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पदोन्नति और उनके परिवारों को टिकट दिया. पंजाब में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या के लिए जाने जाने वाले सुमेध सैनी को अकाली दल सरकार ने पंजाब का डीजीपी नियुक्त कर दिया था. इसके अलावा, पूर्व डीजीपी इजहार आलम की पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया. इजहार आलम ने आलम सेना का गठन किया था. 
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