नया नहीं ममता का रुख, पहले भी ‘INDIA’ गठबंधन के नेतृत्व की जता चुकी इच्छा, नीतीश कुमार के कारण

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Mamata Banerjee On INDIA Alliance: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ममता बनर्जी ने शुक्रवार (06 दिसंबर, 2024) को इंडिया गठबंधन के काम करने के तरीके पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वह इंडिया गठबंधन बनाई हैं और वह इसके काम का संभालने के लिए तैयार हैं, जिसके बाद राजनीति शुरू होने लगी. उनके इस बयान के बाद कांग्रेस नेता संदीप दक्षित ने उन्हें बीजेपी का एजेंट तक बता दिया. 
शुरू से ही इंडिया गठबंधन का नेता बनना चाहती थीं ममता
यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन के कामकाज से खुश नहीं है. पहले भी कई मौकों पर उन्होंने अपनी नाराजगी दिखाई है. सूत्रों के मुताबिक शुरू से ही उनकी चाहत इंडिया गठबंधन का नेता बनना था. वह इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक में भी शामिल नहीं हुई थीं, जिसमें नीतीश कुमार को उस समय संयोजक घोषित किया जाना था. उस दिन उन्होंने इंडिया गठबंधन से नाता तोड़ लिया, जब बैठक में कहा गया कि पहले ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को फैसले की जानकारी दें.
विपक्षी पार्टियों से अलग है काम करने का तरीका
पहले भी केसीआर, देवेगौड़ा, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल और जैसे अन्य नेताओं की अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं रही हैं, लेकिन उनके पास जीते हुए सीटों की संख्या कम थी. वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी के पास अच्छी खासी सीट थी. ममता बनर्जी के काम करने का तरीका गठबंधन के बाकी पार्टियों से अलग है, जिसके उदाहरण शीतकालीन सत्र में देखने को भी मिल रहा है. जहां एक तरफ विपक्षी गठबंधन के सहयोगी एक साथ काम कर रहे हैं तो वहीं टीएमसी उनसे अलग है. बीते दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर विपक्षी पार्टियों की बैठक हुई थी, उसमें टीएमसी का एक भी नेता नहीं पहुंचा था.
इंडिया गठबंधऩ में घमासान
इंडिया गठबंधन की मौजूदा स्थिति देखें तो इसमें आंतरिक मतभेद और समन्वय की कमी साफ नजर आ रही है. इससे पहले टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों से आह्वान किया था कि वे ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेता स्वीकार करें.
उन्होंने तर्क दिया था कि टीएमसी ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है. ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन की नेता बनने का विचार रखीं तो कांग्रेस ने उनपर कई आरोप लगाए. संदीप दीक्षित ने आरोप लगाया, “ममता बनर्जी ज्वलंत मुद्दे क्यों नहीं उठाती हैं. ऐसे मुद्दों पर वह चुप रहती हैं. वह जमीन पर उतरकर संघर्ष नहीं करती हैं.”
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