‘संन्यास भी एक तरह का एडवेंचर’, अब ये क्या कर रहे IITian बाबा

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Prayagraj Kumbh Mela 2025: प्रयागराज के महाकुंभ में जहां चारों ओर आध्यात्मिकता और दिव्यता का अनुभव हो रहा है, वहीं एक खास कहानी चर्चा में है. संगम नगरी में एक ऐसे बाबा पहुंचे हैं, जिन्होंने कॉर्पोरेट लाइफ की चमक-धमक छोड़कर संन्यास का मार्ग अपनाया. जानकारी के अनुसार ये IITian बाबा जूना अखाड़े से जुड़े  हैं और इनका नाम सोमेश्वर पुरी है, जिन्होंने 55 साल की उम्र में बैंक की नौकरी और गृहस्थी को त्याग दिया और संन्यासी जीवन को अपना लिया.
सोमेश्वर पुरी बाबा के मुताबिक उन्होंने 9 महीने हिमालय में रहकर तप किया. बाबा का कहना है कि संन्यास कोई योजना नहीं होती. ये नियति और ईश्वर की इच्छा से ही संभव होता है. बाबा ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने के बाद सनातन धर्म को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू किया. साथ ही संन्यासी जीवन को उन्होंने एक अलग तरह का एडवेंचर बताया, जिसमें आत्मिक शांति के साथ शक्ति को संजोकर रखना पड़ता है.
बाबा ने कहा संन्यास जीवन को कोई भी अपना सकता है
बाबा का मानना है कि संन्यास का जीवन कठिन तो है, लेकिन इसमें एक तय दिनचर्या होती है. ध्यान, तप, और भ्रमण उनके जीवन के अभिन्न अंग हैं. उन्होंने कहा कि एक संन्यासी का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान और ईश्वर से जुड़ाव है जिसे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अपना सकता है.
बाबा ने दी लोगों को ईश्वर से जुड़े रहने की सलाह
बाबा ने बैंक की नौकरी छोड़ने के पीछे की वजह तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने आम लोगों को यह सलाह दी कि हर व्यक्ति को ईश्वर से जुड़े रहना चाहिए. बाबा का ये भी मानना है कि ईश्वर से जुड़ाव और सनातन धर्म के प्रति समर्पण जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है.
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