Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (03 मार्च,2025) को पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया के मामले को लेकर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया को ‘द रणवीर शो’ टेलीकास्ट करने की परमिशन देते हुए सख्त टिप्पणियां कीं.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा, ‘हम जानते हैं कि उन युवाओं से कैसे निपटना है जो सोचते हैं कि हम पुराने हो चुके हैं’. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबादिया को अगले आदेश तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण भी दिया. हालांकि उन्हें गुवाहाटी में जांच में शामिल होने के लिए निर्देश दिए गए हैं.
‘हम जानते हैं कि कैसे निपटना है’सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आरोपियों में से एक (समय रैना) कनाडा में था और उसने इस मामले पर बात की थी. जस्टिस सूर्यकांत ने (समय रैना) का नाम लिए बिना सख्त चेतावनी देते हुए कहा, ‘ये युवा सोचते हैं कि हम पुराने हो गए हैं लेकिन हम जानते हैं कि उनसे कैसे निपटना है. अदालत को कभी भी हल्के में न लें’.
‘मौलिक अधिकार आसानी से नहीं मिलते’सर्वोच्च अदालत ने देश के पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के बेटे और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ से कहा, ‘मौलिक अधिकार आसानी से नहीं मिलते और कुछ प्रतिबंधों के साथ आते हैं. इसके बाद कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया को अपने शो में इस मामले से संबंधित कुछ भी बोलने से रोक दिया. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘समाज में नैतिक मानक अलग-अलग हो सकते हैं. भले ही हमें संविधान में अपने अधिकारों की गारंटियां दी गई हैं लेकिन वे भी कुछ शर्तों के अधीन हैं’. रणवीर इलाहाबादिया का केस पूर्व CJI के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ लड़ रहे हैं.
‘पॉडकास्ट इलाहाबादिया की कमाई का एकमात्र जरिया’सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पूरे मामले की सुनवाई के दौरान अभिनव चंद्रचूड़ की इस दलील पर भी ध्यान दिया कि पॉडकास्ट रणवीर इलाहाबादिया की आजीविका का एकमात्र स्रोत था और लगभग 280 लोगों को इससे रोजगार मिला हुआ था. कोर्ट ने कहा कि ये समस्या सिर्फ आयु वर्ग तक ही सीमित नहीं है शो का कोई भी दर्शक हो सकता है. वो (रणवीर इलाहाबादिया) अगर नियमों के मुताबिक शो चलाना चाहते हैं तो ठीक है हम परमिशन दे रहे हैं. जैसा कि उन्होंने बताया कि 200 से अधिक लोगों का रोजगार दांव पर है.
‘गंदी भाषा का इस्तेमाल करना प्रतिभा नहीं’ पीठ ने शो को नैतिकता और शालीनता बनाए रखने को लेकर नियम कानूनों के मुताबिक प्रसारित करने की अनुमति दी और कहा कि शो सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त होना चाहिए. पीठ ने कहा,’हम कोई नियामक व्यवस्था नहीं चाहते हैं जो सेंसरशिप की ओर ले जाए लेकिन यह सभी के लिए मुफ्त नहीं हो सकता. उन्हें हास्य की गुणवत्ता भी देखनी होगी क्योंकि हास्य एक ऐसी चीज है जिसका पूरा परिवार आनंद ले सकता है. किसी को भी इससे शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए. गंदी भाषा का इस्तेमाल करना प्रतिभा नहीं है’.
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