JDU Leader Murder Case: केरल हाई कोर्ट ने त्रिशूर जिले के पझुविल में जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के एक पदाधिकारी की 2015 में हुई हत्या के सिलसिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-बीजेपी के पांच कार्यकर्ताओं को बरी करने के फैसले को मंगलवार को पलट दिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
न्यायमूर्ति पी.बी. सुरेश कुमार और न्यायमूर्ति जोबिन सेबेस्टियन की खंडपीठ ने कहा कि अपराध में शामिल पांच आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी करने का सत्र अदालत का फैसला ‘‘तथ्यात्मक साक्ष्यों की अनदेखी किये जाने तथा अप्रासंगिक तथ्यों पर विचार करने’’ के कारण विकृत है. पीठ ने यह भी कहा कि गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्तियों को तकनीकी या कमजोर आधार पर बरी करने से आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली की नींव ही खत्म हो जाएगी. यह प्रणाली सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण के साथ व्यक्तिगत अधिकारों को संतुलित करने का प्रयास करती है.
सत्र अदालत ने कर दिया था बरी
इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसे फैसले न केवल न्याय के संरक्षक के रूप में कोर्टों के प्रति जनता के भरोसे को हिला देते हैं, बल्कि समाज को कोर्टों से मिलने वाले संरक्षण से भी वंचित कर देते हैं. इस तरह बरी किये जाने से एक खतरनाक भ्रामक संदेश भी जाएगा, जिससे यह संकेत मिलेगा कि गंभीर अपराधों के लिए जिम्मेदार लोग न्याय से बच सकते हैं. ऐसा होने पर अराजकता का माहौल पैदा होगा.” सत्र अदालत ने मामले में सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया था. इसके बाद राज्य सरकार तथा पीड़ित की विधवा ने हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की थी.
हाई कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपराध में शामिल पांच मुख्य आरोपियों- ऋषिकेश, निजिन उर्फ कुंजप्पू, प्रशांत उर्फ कोचू, रसंत और ब्रशनेव को बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया और उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दोषी ठहराया. पीठ ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उनमें से प्रत्येक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
बाद की सजा पिछली सजा के साथ-साथ चलेगी
चूंकि दूसरे और पांचवें आरोपी पहले से ही दो अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे, इसलिए हाई कोर्ट ने उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 467(2) का लाभ दिया, जिसमें प्रावधान है कि बाद की सजा पिछली सजा के साथ-साथ चलेगी.
पीठ ने मामले में अन्य पांच आरोपियों को बरी करने के फैसले को भी बरकरार रखा और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ उकसावे और सबूत नष्ट करने के आरोपों को साबित करने में असमर्थ रहा. पीड़ित दीपक जनता दल (यूनाइटेड) का पदाधिकारी था और पझुविल सेंटर में राशन की दुकान चलाता था.
यह भी पढ़ें-
‘मुसलमान डरता नहीं, गोलियां कम पड़ जाएंगी लेकिन…’, वक्फ संशोधन कानून पर आगबबूला हुआ ये नेता
india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi
ENGLISH NEWS