‘RCB के लाखों फैन्स, कम पड़ जाएगी सिक्योरिटी’, बेंगलुरु भगदड़ से पहले सरकार को दी गई थी चेतावनी

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Bengaluru Stampede Case: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ मामले में एक नया खुलासा हुआ है. 11 लोगों की मौत से कुछ घंटे पहले ही एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सुरक्षा कर्मियों की कमी और संभावित भीड़ नियंत्रण मुद्दों पर चिंता जताई थी और कर्नाटक सरकार को एक चिट्ठी लिखी थी.  
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस चिट्ठी के हवाले से बताया गया कि विधानमंडल की सुरक्षा की देखरेख करने वाले एमएन करिबासवना गौड़ा ने कार्यक्रम की सुबह राज्य सरकार को लिखित चेतावनी जारी की थी. कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग की सचिव जी सत्यवती को संबोधित इस चिट्ठी में गौड़ा ने भारी भीड़ और अपर्याप्त पुलिस तैनाती के कारण विधान सौध में सम्मान समारोह आयोजित करने के खिलाफ चेतावनी दी.
क्या लिखा चिट्ठी में?
अधिकारी ने लिखा, “आरसीबी के देशभर में प्रशंसक हैं और अगर हम भव्य सीढ़ियों पर कोई कार्यक्रम आयोजित करते हैं तो लाखों क्रिकेट प्रशंसक विधान सौध में आएंगे. चूंकि सुरक्षा कर्मियों की कमी है, इसलिए बंदोबस्त व्यवस्था करना एक समस्या होगी.”
मामले में जांच आयोग गठित
कर्नाटक सरकार की ओर से हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जॉन माइकल कुन्हा की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग को चार जून को बेंगलुरु में हुई भगदड़ की जांच सौंपी गई है. आयोग को इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए कहा गया है. सरकार की ओर से आयोग को सौंपे गए कार्य से जुड़ी शर्तों के मुताबिक, आयोग को अन्य बातों के अलावा ऐसे एहतियाती उपाय भी सुझाने हैं जिसे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके.
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पांच जून को घोषणा की थी कि इस मुद्दे में प्रक्रियागत खामियों की जांच के लिए कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया जाएगा. आयोग को 30 दिनों में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. यह भगदड़ चार जून की शाम को यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने हुई थी, जहां बड़ी संख्या में लोग आरसीबी टीम की आईपीएल में जीत के जश्न में भाग लेने के लिए उमड़े थे. इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 घायल हो गए थे.
यह भी स्पष्ट किया गया है कि ये जांच आयोग मजिस्ट्रेट जांच से अलग है और यह एक समानांतर और व्यापक जांच करेगा. जांच आयोग के अध्यक्ष, अगर जरूरी हो तो तकनीकी और कानूनी सहायता के लिए एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए कदम उठा सकते हैं. संबंधित अधिकारियों के वेतन/भत्ते का खर्च सरकार करेगी. पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक, जांच आयोग के लिए आवश्यक स्टाफ, सामग्री, वाहन और कार्यालय तथा फर्नीचर/टेलीफोन आदि उपलब्ध कराएंगे.
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