Dowry Death: अलवर में पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने पर पति को सात साल की जेल, भाई-बहनोई भी भुगतेंगे सजा

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अलवर जिले में एक लंबे समय से चल रहे दहेज प्रताड़ना के मामले में अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। दहेज के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुई महिला दीपिका को न्याय दिलाते हुए एससी-एसटी विशेष न्यायाधीश अनीता सिंघल ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने दीपिका के पति महेश को आत्महत्या के लिए उकसाने और प्रताड़ना का दोषी मानते हुए सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही आरोपी के भाई और बहनोई को सबूत छिपाने के आरोप में तीन-तीन साल की कैद और आर्थिक दंड से दंडित किया गया।
 
शादी के बाद से ही शुरू हुई थी प्रताड़ना
मामले के अनुसार वर्ष 2019 में अलवर के शांति नगर निवासी महेश का विवाह दीपिका से हुआ था। विवाह के कुछ ही समय बाद से दीपिका को उसके पति और ससुराल पक्ष की ओर से दहेज को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। यह प्रताड़ना लगातार बढ़ती गई और दीपिका का जीवन एक दहशत में बदल गया।

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एडवोकेट योगेंद्र कसाना के मुताबिक, दीपिका पर दहेज के लिए इतना दबाव बनाया गया कि वह इस मानसिक उत्पीड़न से टूट गई। अंततः तीन जनवरी 2021 को दीपिका ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। इस घटना के बाद पीड़िता के मायके पक्ष ने तत्काल पुलिस में मामला दर्ज कराया।

 

पुलिस जांच में पति को माना गया मुख्य दोषी

पुलिस द्वारा की गई गहन जांच में यह स्पष्ट हुआ कि दीपिका की आत्महत्या के पीछे मुख्य कारण पति द्वारा की जा रही दहेज प्रताड़ना थी। यही नहीं आरोपी के भाई और बहनोई द्वारा सबूतों को नष्ट करने की भी पुष्टि जांच में हुई। पुलिस द्वारा जमा किए गए सबूतों और गवाहियों के आधार पर न्यायालय में सुनवाई लगभग चार वर्षों तक चली।

 

‘महिलाओं के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं’

विशेष न्यायाधीश अनीता सिंघल ने अपने फैसले में कहा कि दहेज के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करना समाज में बेहद घातक संदेश देता है और यह एक गंभीर अपराध है। न्यायालय ने सभी प्रस्तुत सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया कि इस तरह के मामलों में कठोर दंड ही समाज में सुधार का माध्यम बन सकता है।

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इस फैसले के बाद पीड़िता के परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अदालत के निर्णय को स्वागत योग्य बताया है। एडवोकेट योगेंद्र खटाना ने भी कहा कि यह निर्णय उन तमाम पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की उम्मीद की किरण बन सकता है, जो आज भी दहेज की आग में जल रही हैं।

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