बाघों की आबादी के लिहाज से राजस्थान की सबसे बड़ी टाइगर सेंचुरी में अब पर्यटकों और बाघों का आमना-सामना नहीं होगा। यदि रणथंभौर टाइगर रिजर्व (आरटीआर) अथॉरिटी का प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाता है तो रणथंभौर के बाघों की शिफ्टिंग टाइगर रिजर्व के ऐसे एरिया में की जाएगी, जहां टाइगर सफारी के लिए वाहन नहीं ले जाए जाते। यानी रणथंभौर में अब टाइगर सफारी में टाइगर नहीं दिखेगा।
गौरतलब है कि बुधवार को रणथंभौर में युवा बाघ के हमले में एक बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद आरटीआर अथॉरिटी ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें इस टाइगर सेंचुरी के बाघों को उन जगहों पर शिफ्ट करने की बात कही गई है, जहां टाइगर सफारी नहीं करवाई जाती ताकि मानव और बाघ का आमना-सामना कम से कम हो।
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वन विभाग के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि प्रस्ताव यह है कि रणथंभौर में टाइगर की शिफ्टिंग नॉन टूरिस्म एरिया में की जाए। उन्होंने बताया कि अथॉरिटी ने यह प्रस्ताव तैयार कर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को भेज दिया है। अब अंतिम निर्णय उन्हीं को करना है क्योंकि हम इस तरह की घटना दोहराना नहीं चाहते।
कुल 77 बाघ हैं रणथंभौर में
हाल में टाइगर सेंचुरी में हुई पांचवें चरण की मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार रणथंभौर में इस समय कुल 77 बाघ हैं। इनमें से 29 नर, 32 मादा और 16 शावक हैं। हाल में बाघ के हमले को लेकर हुई घटना पर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यहां के प्रसिद्ध गणेश मंदिर में बुधवार को बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। पिछले बुधवार को यहां बाघ बैठा था और शायद बच्चा उसके पास से दौड़ता हुआ निकला, जिसने बाघ को उकसाने का काम किया।
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वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गणेश मंदिर और फॉरेस्ट गेट के बीच 14 बाघों का मूवमेंट है। इनमें सुल्ताना और ओवरहेड के 9 बच्चे हैं, जो अब बड़े हो रहे हैं और मां से अलग होने की उम्र में पहुंच रहे हैं। इस घटना के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने श्रद्धालुओं का गणेश मंदिर में आना-जाना 5 दिनों के लिए बंद कर दिया है।
पूर्व आईएफएस सुनयन शर्मा का कहना है कि गर्मी के मौसम में तापमान ज्यादा रहने की वजह से बाघ ज्यादा गुस्सैल हो जाते हैं। वहीं यहां मंदिर में आने वाले लोगों की भीड़ से वे और ज्यादा चिढ़चिढ़े हो जाते हैं और इस तरह के हमले का कारण बनते हैं।