भील प्रदेश संदेश यात्रा के लिए उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा सहित डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर क्षेत्र के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से सुबह से ही वाहनों से आदिवासी परिवार से जुड़े समर्थक पहुंचना शुरू हो गए थे। दोपहर होते-होते यह संख्या हजारों में पहुंच गई। हाथों में भील प्रदेश अंकित पीले और सफेद झंडे लिए समर्थक आनंदपुरी से ही पैदल मानगढ़ पहाड़ी की ओर जाते दिखे। सभा आरंभ होने से पहले लोक संस्कृति से जुड़ी प्रस्तुतियां दी गईं।
चिंगारी को ज्वालामुखी बनाएंगे
इस अवसर पर संबोधित करते हुए सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील प्रदेश की चिंगारी को ज्वालामुखी बनाएंगे। इस क्षेत्र के लोगों ने ठान लिया है। यह मांग किसी पार्टी विशेष की नहीं है। सभी ने इस संबंध में बात कही थी। देश के गृहमंत्री ने भील प्रदेश के संबंध में बात रखी है। उदयपुर सांसद विरोध कर रहे हैं। भील प्रदेश बनने से सभी वर्ग का उत्थान होगा। उन्होंने कहा कि जो आदिवासी विरोधी और उससे खिलवाड़ करने वाला है, वह विदेशी है। आदिवासी मानवता में विश्वास करता है। आदिवासी होने से अधिक महत्वपूर्ण आदिवासियत होना जरूरी है। सरकारों ने आदिवासी समाज का भला करने और संवैधानिक अधिकार लागू करने का काम किया होता तो जनता हमें साथ नहीं देती। कांग्रेस और भाजपा के लोग भील प्रदेश के विरोध में सम्मेलन कर दिखाएं, हम देखते हैं कि उसमें कितने लोग आते हैं। भीलों के बिना राजस्थान का गौरवशाली इतिहास नहीं होता।
ये भी पढ़ें- सरकारी अस्पताल में कार्यरत नर्स की संदिग्ध हालात में मौत, पीहर पक्ष ने लगाया दहेज हत्या का आरोप
बजट का 30 फीसदी हिस्सा खर्च करें
बाद में मीडियाकर्मियों से सांसद रोत ने कहा कि पूर्वजों के अधूरे सपने को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय से भील प्रदेश संदेश यात्रा कार्यक्रम किया है। इस क्षेत्र का युवा इस मांग को लेकर ललायित है। अशिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण इस इलाके में है। पिछड़ा इलाका है। जिन नेताओं और पार्टियों को यह मांग गलत लग रही है, वे राज्य बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा चारों राज्यों के आदिवासी बहुल क्षेत्र में लगाएं।
मिलकर लड़ने से मिलेगी दूसरी आजादी
इस अवसर पर आदिवासी परिवार के संस्थापक सदस्य मास्टर भंवरलाल ने कहा कि आदिवासी राजा था। आज हाशिये पर है। हम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं। 1947 के बाद हमें कई प्रकार के बंधनों में बांध दिया। 70 साल में भी आदिवासियों की मांगें पूरी नहीं हई है। यदि फिर राजा बनना है तो मिलकर काम करना होगा। अनुशासन अपनाने के साथ नशा छोड़ना होगा। शराब और अन्य व्यसन छोड़ने होंगे। आदिवासी इस देश का मूल मालिक है। संस्थापक सदस्य कांतिभाई रोत ने कहा कि भील प्रदेश की मांग वर्षों पुरानी है। इसके लिए पूर्वजों ने भी आंदोलन किए और भील प्रदेश नहीं बनने तक पूरी ताकत से आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने लोगों को मानगढ़ धाम और आदिवासी दिवस पर होेने वाले कार्यक्रमों में शराब का सेवन कर नहीं जाने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर भारत आदिवासी पार्टी के विधायकों के अतिरिक्त आदिवासी परिवार के पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया।
भील प्रदेश में यह क्षेत्र शामिल करने की मांग
आदिवासी राज्य के रूप में भील प्रदेश में चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 43 जिलों को मिलाकर बनाने की मांग है। राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, सिरोही, पाली, जालौर, बाड़मेर, झालावाड़, कोटा और बारां जिले हैं। मध्य प्रदेश के रतलाम, धार, बड़वानी, अलीराजपुर मंदसौर, नीमच, देवास, गुना, शिवपुरी, इंदौर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, जिले हैं। गुजरात के दाहोद, पंचमहल, अरवल्ली, महीसागर, साबरकांठा, बनासकांठा, छोटा उदेपुर, बड़ोदरा, सूरत, नवसारी, नर्मदा, भरुच और महाराष्ट्र के पालघर, ठाणे, नासिक, जलगांव, नंदुरबार और धुले जिले सम्मिलित हैं।
rajasthan, rajasthan news, hindi rajasthan, hindi rajasthan news, hindi news, rajasthan news update, rajasthan news today, rajasthan today, latest rajasthan news, latest news today, sri ganganagar news, sri ganganagar news today, hanumangarh news. hindi news rajasthan, bikaner news, bikaner news hindi, oxbig news, hindi oxbig news, oxbig news network
English News