जहां एक ओर स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं और मूलभुत सुविधाएं भी सरकारी विद्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, दूसरी ओर सुदूर गांव के भामाशाहों ने अपनी छोटी-छोटी बचत से विद्यालय काे एक आदर्श विद्यालय के रूप में खड़ा कर दिया है। यह कहानी बड़ीसादड़ी के देवदा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की है, जो कुछ वर्षाें पहले तक सामान्य विद्यालय की तरह था। लेकिन गांव के लोगों ने एक-एक रुपये प्रतिदिन घर से चंदे की शुरुआत की। आज लाखों रुपये खर्च कर गांव के विद्यालय की सूरत और सीरत बदल दी है।
आठवीं तक के सरकारी स्कूल का वातावरण ही कुछ ऐसा है कि हर कोई इसे देख कर दांतों तले उंगली दबा ले। बड़ीसादड़ी उपखंड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवदा में हर एक कक्षा-कक्ष में एलइडी के माध्यम से बच्चों को अध्ययन करवाया जाता है। यही नहीं स्कूल के बरामदे में ज्ञानवर्धक संदेशों के साथ-साथ महापुरुषों की प्रेरणादायक तस्वीरें भी स्कूल की अलग तस्वीर बयां करती हैं। सरकारी स्कूल को लेकर आमतौर पर गांव के लोग इतने गंभीर नहीं होते। लेकिन देवदा गांव के लाेगों ने अपने ही दम पर उसकी फिजां बदल दी और सरकारी स्कूल को निजी स्कूल की तरह सर्व सुविधायुक्त बना दिया। अब तक विद्यालय में ग्रामीणों की मदद से 20 लाख रुपये के काम करवाए जा चुके हैं।
यह भी पढ़ें: मदन राठौर बोले- अगर हम इनका भ्रम नहीं तोड़ पाए तो नया मोदी पैदा करने में एक हजार साल लगेंगे
पीने के लिए आरओ का पानी, नहाने के आधुनिक स्नान घर
विद्यालय में बच्चों के स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। बच्चों को पीने के लिए एक के बजाय तीन-तीन आरओ और वाटर कूलर लगे हैं। इसके साथ ही अत्याधुनिक स्नान घर है। यदि कोई बच्चा घर से नहा कर नहीं आया तो उसके नहाने की सुविधा विद्यालय में उपलब्ध है। साफ-सुथरे टॉयलेट और स्वच्छता के मामले में विद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत किया जा चुका है।
हरियाली और औषधीय पौधों से भरपूर आंगन
इस विद्यालय का वातावरण भी एक दम साफ-सुथरा और हरा भरा है। विद्यालय में करीब 500 से अधिक पेड़ पौधे लगे है, जिनमें से कई औषधीय पौधे शामिल है। दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शौचालय के साथ ही स्कूल की हरियाली सभी को आकर्षित करती है। बड़ी बात यह है कि छात्राओं के लिए विद्यालय में सेनेटरी डिस्ट्रार्य मशीन भी लगाई गई है।
स्टॉफ के सहयोग से चलाई थी मुहिम
जानकारी के अनुसार, 2018 से पहले देवदा का यह विद्यालय भी सामान्य सरकारी विद्यालय की तरह था। लेकिन स्कूल के विकास को लेकर स्कूल के स्टॉफ ने ग्रामीणों से विकास के लिए चर्चा की और रोजाना एक रुपये स्कूल के लिए बचाने पर सहमति जताई। स्कूल के स्टॉफ ने गांव के हर एक घर पर मुखिया का फोटो लगा कर गुल्लक रखा और हर एक घर से विद्यालय विकास के लिए एक-एक रुपया गुल्लक में डालना शुरू किया। हर माह ग्रामीण स्कूल में अपनी बचत खाते में जमा करा देते और एक रुपया बचाने की यह मुहिम रंग लाई और स्कूल को निजी विद्यालय की प्रतिस्पर्धा में लाकर खड़ा कर दिया। एक रुपये से शुरू हुए दान का यह सिलसिला बढ़ता गया और ग्रामीणों ने अधिक से अधिक रुपया स्कूल के लिए लगाया। वर्तमान में हर एक कक्षा कक्ष और प्रधानाध्यापक कार्यालय में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी है।
यह भी पढ़ें: पहली बार होगा सांसद संपर्क संवाद कार्यक्रम, शनिवार को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे शुरुआत
फिर भी राज्य स्तरीय पुरस्कार से वंचित
यूं तो देवदा स्कूल की कहानी प्ररेणा देती है, लेकिन विभाग में फैली लालफीताशाही और कथित मिलीभगत के चलते स्कूल को राज्य स्तर पर भी सम्मानित नहीं किया गया है। जानकारी के अनुसार इस वर्ष देवदा विद्यालय की ओर से भी सम्मानित करने के लिए आवेदन दिया गया था। लेकिन विभाग ने चित्तौड़गढ़ से उसका नाम आगे प्रेषित नहीं किया। हालांकि, ग्रामीणों को अभी भी उम्मीद है। बहरहाल, ग्रामीणों के सहयोग से यह विद्यालय सभी के लिए प्रेरणादायक बना हुआ है।
देवदा राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल

राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल