राजसमंद जिले के शीशोदा गांव में शनिवार को शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया। यहां 15 करोड़ की लागत से बने नवनिर्मित राजकीय विद्यालय भवन का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। इस प्रेरणादायक कार्य को अंजाम देने वाले हैं स्वर्ण व्यवसायी मेघराज धाकड़ और उनके भाई अजित धाकड़, जिनका बचपन इसी विद्यालय में बीता। एक समय यह स्कूल जर्जर हालात में था, संसाधनों की कमी से जूझ रहा था। लेकिन आज यह आधुनिक सुविधाओं से लैस एक उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान के रूप में उभरा है।
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इस लोकार्पण समारोह में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, राजसमंद सांसद महिमा कुमारी मेवाड़, नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़, राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, उदयपुर विधायक ताराचंद जैन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, शिक्षा प्रेमी और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
धाकड़ परिवार ने साधनहीन स्कूल को बनाया संपूर्ण शिक्षालय
विद्यालय भवन का निर्माण करवाने वाले मेघराज धाकड़ स्वयं इसी स्कूल के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब वे सातवीं कक्षा तक इस विद्यालय में पढ़े थे, तब स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। आज वही स्कूल तीन मंजिला भवन में तब्दील हो चुका है, जिसकी 50 हजार वर्ग फीट में फैली संरचना में 40 कमरे हैं। भवन में प्रार्थना सभागार, मीटिंग हॉल, स्टडी रूम, प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष, पुस्तकालय और स्टोर रूम जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पूरा परिसर सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षित है, साथ ही विद्यार्थियों की शारीरिक प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए बॉलीबॉल और बास्केटबॉल कोर्ट भी बनाए गए हैं। इंटरलॉकिंग रास्ते, मजबूत बाउंड्री वॉल और हरा-भरा प्रांगण इसे एक आदर्श शैक्षणिक परिसर बनाते हैं।

‘यह सिर्फ स्कूल नहीं, संस्कारों का मंदिर है’
राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने मंच से कहा कि धाकड़ परिवार ने केवल स्कूल नहीं, गांव और क्षेत्र को संस्कारों और शिक्षा का मंदिर प्रदान किया है। उन्होंने इसे एक प्रेरणादायी उदाहरण बताया, जिससे क्षेत्र के अन्य लोग भी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने की प्रेरणा लेंगे।
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आधुनिक महाविद्यालय और खेल परिसर का भी वादा
कार्यक्रम के दौरान मंच से भामाशाह अजित धाकड़ ने कहा कि उनकी योजना है कि शीशोदा गांव में एक आधुनिक महाविद्यालय और खेल परिसर भी बनवाया जाए, जिससे उच्च शिक्षा और खेल सुविधाओं से क्षेत्र के युवा वंचित न रहें। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही सबसे बड़ी पूंजी है और वे इसके लिए सदैव समर्पित रहेंगे।
छह वर्षों की मेहनत से बना स्वप्न हुआ साकार
विद्यालय भवन का निर्माण कार्य लगभग छह वर्षों तक चला, जिसमें गुणवत्ता और सुविधाओं से कोई समझौता नहीं किया गया। धाकड़ परिवार का स्पष्ट उद्देश्य था कि उनके क्षेत्र का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे और हर वर्ग के बच्चों को समान अवसर मिले।