श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव का चौथा दिन धर्म, तप और वैराग्य की भावना से ओत-प्रोत रहा। आज तपकल्याणक के शुभ अवसर पर सुबह भगवान के अभिषेक और पूजा का आयोजन हुआ। इसके बाद तपकल्याणक की विधि पूर्ण की गई और सभी मूर्तियों को दीक्षा प्रदान कर उनके वस्त्र उतारे गए, जो वैराग्य का प्रतीक है।
इस भव्य आयोजन में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने तीर्थ क्षेत्र में पहुंचकर जैनाचार्य वसुंनंदी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके साथ ही देवनानी का शॉल, माला, साफा और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। उन्होंने तीर्थ परिसर का अवलोकन किया और इसकी भव्यता की प्रशंसा की।

देवनानी ने कहा, मैं जैन धर्म की कई बातों को अपने जीवन में मानता हूं। मैंने आज तक मांस और अंडे का सेवन नहीं किया। मेरा यह जीवन संतों और मुनियों के आशीर्वाद का ही परिणाम है। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार की हिंसा से मुक्ति जैन धर्म के रास्ते पर चलकर ही संभव है। शाम को मंगल आरती और फिर भजन संध्या का आयोजन किया गया। प्रसिद्ध जैन भजन गायक रुपेश जैन की संध्या में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। श्रद्धालु भजनों पर झूमते और नाचते नजर आए।
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कल महोत्सव के पांचवें दिन ज्ञानकल्याणक मनाया जाएगा। सभी मूर्तियों की आहरचार्य विधि की जाएगी। इसके साथ ही एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनेगा अजमेर, जब विश्व की सबसे बड़ी किताब “खवगराय सिरोमणि” का विमोचन किया जाएगा। यह ग्रंथ राष्ट्र संत आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज के जीवन पर आधारित है। इस विशाल ग्रंथ के निर्माण में 1500 स्क्वायर फीट फ्लेक्स, 50 लीटर पेंट और 1000 किलो लोहे का प्रयोग हुआ है।
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18 पन्नों वाली यह किताब 36 फीट ऊंची और 24 फीट चौड़ी है। इसे तैयार करने में 15 से 20 लोगों ने पांच दिन तक कार्य किया। साथ ही, इस मौके पर 108 फीट ऊंचा जैन धर्मध्वज भी फहराया जाएगा। श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र पर हो रहे इस पंचकल्याणक महोत्सव ने न केवल धर्म, बल्कि रचनात्मकता, भक्ति और समाज की एकता का भी परिचय दिया है।