Rajasthan: रणथंभौर में बढ़ रही है बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट, बिगड़ता अनुपात और सीमित संसाधन बना मुख्य कारण

Must Read

राजस्थान के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व, रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट की घटनाएं बढ़ रही हैं। इलाकों को लेकर हो रही इन आपसी झड़पों में पिछले दो वर्षों में 18 से 20 बाघों की मौत हो चुकी है। इसका मुख्य कारण बिगड़ा हुआ नर और मादा बाघों का अनुपात और युवा होते बाघों की बढ़ती संख्या है। पेश है रणथंभौर से एक विशेष रिपोर्ट।

Trending Videos

रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके साथ ही टेरिटोरियल फाइट के चलते बाघों की मौत भी वन प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई है। मौजूदा समय में पार्क में 25 बाघ, 27 बाघिन और 23 शावक हैं। पिछले दो वर्षों में लगभग 18 से 20 बाघों की मौत हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश की जान टेरिटोरियल फाइट के कारण गई है।

रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के.आर. के अनुसार, बाघ जब युवा होते हैं और अपनी माँ से अलग होकर नई टेरिटरी की तलाश करते हैं, तब अक्सर अन्य बाघों से उनकी झड़प हो जाती है। इस संघर्ष में कमजोर बाघ की मौत हो जाती है। इसके अलावा, मादा बाघिन को लेकर भी नर बाघों के बीच संघर्ष देखने को मिलता है।रणथंभौर में आधे से अधिक शावक युवा हो चुके हैं और अब अपनी टेरिटरी की तलाश में जुटे हैं। मुख्य जोन 1 से 5 में करीब 15 शावक घूम रहे हैं, जिनकी उम्र एक से डेढ़ साल के बीच है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस उम्र में शावक अपनी टेरिटरी बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे टकराव की संभावना बढ़ जाती है।

पढ़ें: नाबालिग को घर के बाहर से अगवा कर जंगल में किया सामूहिक दुष्कर्म, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस    

मुख्य जोन में कई प्रसिद्ध बाघिनों के शावक भी शामिल हैं, जैसे कि टी-107 सुल्ताना के तीन शावक, टी-84 एरोहेड के तीन शावक, टी-124 रिद्धि के तीन शावक, टी-105 नूरी और टी-111 शक्ति के तीन-तीन शावक, टी-125 सिद्धि के दो शावक (नॉन-पर्यटक क्षेत्र में)। इन युवा शावकों के बड़े होने के साथ ही टेरिटरी के लिए संघर्ष बढ़ता जा रहा है।

वन्यजीव विशेषज्ञ यादवेन्द्र सिंह का कहना है कि बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट प्राकृतिक प्रक्रिया है। जब कोई शावक अपनी माँ से अलग होता है और नई टेरिटरी बनाता है, तो उस इलाके में मौजूद अन्य बाघ से उसका संघर्ष हो जाता है। रणथंभौर में बाघों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सभी संसाधन जैसे घास के मैदान, शिकार और पानी सीमित मात्रा में हैं। जब कोई नया बाघ अपनी टेरिटरी बनाने की कोशिश करता है, तो मौजूदा बाघ इसका विरोध करता है, जिससे संघर्ष होता है। इसके अलावा, नर और मादा का अनुपात बिगड़ने के कारण भी मादा बाघिन को लेकर लड़ाइयां होती हैं।

पढ़ें: नगर निगम दक्षिण के कांग्रेस पार्षदों ने किया निगम आयुक्त का घेराव, पक्षपात का लगाया आरोप    

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों के बीच होने वाले संघर्ष को कम करने के लिए सरकार और वन विभाग को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। नए घास के मैदान विकसित करने से शिकार की उपलब्धता बढ़ेगी और बाघों के लिए नए क्षेत्र तैयार होंगे। इससे बाघों को पर्याप्त टेरिटरी मिलेगी और संघर्ष की घटनाएं कम होंगी। युवा नर बाघों को चिन्हित कर अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा सकता है। इससे टेरिटरी को लेकर होने वाले झगड़ों को कम किया जा सकेगा। अन्य टाइगर रिजर्व से मादा बाघिनों को रणथंभौर लाया जा सकता है, जिससे नर और मादा बाघों के अनुपात को संतुलित किया जा सकेगा।

रणथंभौर में बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट को रोकने के लिए सरकार और वन विभाग को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे न केवल बाघों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि अन्य टाइगर रिजर्व भी आबाद हो सकेंगे। रणथंभौर को बाघों के सुरक्षित आश्रय के रूप में बनाए रखना न केवल वन्यजीव प्रेमियों, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी बेहद जरूरी है।

rajasthan, rajasthan news, hindi rajasthan, hindi rajasthan news, hindi news, rajasthan news update, rajasthan news today, rajasthan today, latest rajasthan news, latest news today, sri ganganagar news, sri ganganagar news today, hanumangarh news. hindi news rajasthan, bikaner news, bikaner news hindi, oxbig news, hindi oxbig news, oxbig news network

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -