Ajmer News: आनासागर वेटलैंड क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, अगली सुनवाई 7 अप्रैल को

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राजस्थान के अजमेर में आनासागर झील के आसपास स्थित वेटलैंड और ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। न्यायाधीश अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुयान की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कड़े निर्देश जारी किए। अदालत ने सेवन वंडर पार्क को छह महीने के भीतर हटाने या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जबकि फूड कोर्ट को 7 अप्रैल तक पूरी तरह ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जितना वेटलैंड क्षेत्र नष्ट किया गया है, उतना ही नया वेटलैंड सिटी एरिया में विकसित किया जाए।

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इस मामले में सरकार और याचिकाकर्ता की ओर से जोरदार दलीलें पेश की गईं। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) तुषार मेहता ने पैरवी की, जबकि याचिकाकर्ता अशोक मलिक, जो पूर्व पार्षद और भाजपा नेता हैं, ने स्वयं अपना पक्ष रखा। राज्य सरकार ने 12 मार्च को 49 पेज का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया, जिसमें अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा, भविष्य की योजनाएं, निर्माण-पूर्व और वर्तमान की तस्वीरें तथा सेवन वंडर पार्क को अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की संभावनाएं शामिल थीं।

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दूसरी ओर, याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने 14 मार्च को 65 पेज का काउंटर हलफनामा दाखिल कर अदालत में तर्क दिया कि ये निर्माण पूरी तरह से अवैध हैं और पर्यावरणीय संतुलन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसलों का हवाला देते हुए आग्रह किया कि इन सभी अवैध संरचनाओं को पूरी तरह ध्वस्त किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद प्रशासन ने कुछ निर्माणों को आंशिक रूप से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक फूड कोर्ट का कुछ हिस्सा तोड़ा जा चुका है, सेवन वंडर पार्क से एक स्टैच्यू हटाई गई है और वहां स्थित कैंटीन को भी हटा दिया गया है। गांधी स्मृति उद्यान में बने पाथवे का कुछ हिस्सा भी हटा दिया गया है, लेकिन आजाद पार्क कॉम्प्लेक्स और अन्य संरचनाओं पर कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण संरक्षण नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। यदि सरकार निर्धारित समयसीमा के भीतर कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करती, तो न्यायालय और अधिक सख्त आदेश जारी कर सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी, जिसमें सरकार की अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी।

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