ग्रामीणों में इससे चिंता का माहौल है, लेकिन वे गांवों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 1971 के बाद यह तीसरी-चौथी बार है, जब गांव को खाली करवाने के आदेश आए है। इतना सामान, महिलाएं पशु सभी को अन्य स्थान पर ले जाना बहुत कष्टदायक होता है। घर नहीं छोड़ने, यदि जरूरत पड़ी तो वे सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा के लिए हथियार उठाएंगे। यदि प्रशासन गांव खाली करने की सख्ती करता है तो उनके लिए व्यवस्था भी करे। वार्ड पंच विनोद कुमार ने कहा कि गांव के 20 युवाओं को सीमा सुरक्षा बल की तरफ से 20 वर्ष पहले बंदूक आदि चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। भले ही वे अब 50 के हैं, लेकिन जोश बरकरार है। उन्होंने कहा कि फावड़ा-हल चलाने वाले यह हाथ देश के लिए बंदूक भी चला सकते हैं। हर तरफ सीमा पर तनाव की चर्चा लोग एक दूसरे से सीमा पर उपजे तनाव की चर्चा कर रहे थे। कुछ महिलाओं ने जरूरत का सामान और दस्तावेज सम्भाल लिए थे, लेकिन एक भी घर से पलायन होता नजर नहीं आया। ग्रामीण पशुधन को लेकर चिंतित दिखे। वहीं प्रशासन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। उन्होंने कहा कि भ्रामक सूचनाओं से दूरी बनानी है। क्षेत्र का बॉर्डर एकदम सामान्य है। सभी सीमावर्ती क्षेत्र में एतिहात बरती जा रही हैं। यह भी पढ़ें सरहदी गांवों में बढ़ाई सुरक्षा, ग्रामीण बोले- घर छोड़ने के बजाय ‘जंग’ को तैयार
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राजस्थान: भारत-पाक सीमा पर तनाव गहराया, सीमावर्ती गांवों को खाली करने के दिए मौखिक आदेश | Tension deepens on Indo-Pak border, verbal orders given to vacate border Anupgarh villages

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