जांच कमेटी ने अपनी जांच के दौरान यह पाया कि उच्च क्वालिटी के गददे खरीदने के लिए राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ, राजस्थान राज्य हथकरघा विकास निगम, खादी भण्डार से क्रय किए जाने चाहिए थे लेकिन राजस्थान की फर्मो की बजाय बाहरी फर्म से यह खरीद की।क्रय आदेश जारी करने के लिए फर्मों की सूची एवं रेट सूची वेबसाइट से डाउनलोड करनी चाहिए थी लेकिन जिला लेखा प्रबन्धक सतीश गुप्ता ने फर्म के प्रतिनिधी को रेट सूची उपलब्ध करा दी। भुगतान का चैक भी सम्बधित फर्म शिवा इन्टरनेशनल को पंजीकृत डाक से भिजवाया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चैक कब एवं किसको दिया गया इस सम्बन्ध में डॉ बसंल, गुप्ता, पूनिया आदि ने अनभिज्ञता जाहिर कर मिलीभगत को दर्शाया। गददो की खरीद का भुगतान गांधी पार्क के कारपोरेशन बैँक में 16 फरवरी 2015 को चेक दिया गया। इस बैँक में खाता संबंधित सप्लाई फर्म की बजाय अन्य फर्म शिवा इन्टरनेशनल का था। हुजूर आते आते बहुत देर कर दीइस मामले में तत्कालीन सीएमएचओ डा. बंसल सात साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके है। वहीं जिला लेखा प्रबंधक सतीश गुप्ता, लेखाधिकारी रहे सुबालाल भी रिटायर हो गए है। लेकिन जांच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब एफआइआर दर्ज हुई है। यह मामला वर्ष 2014 का है जब स्वास्थ्य केन्द्रों पर नसबंदी शिविरों में महिलाओं को सोने के लिए रेडीमेड गददो की खरीद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान सीएमएचओ ऑफिस में संविदा कार्मिक विष्णु कौशिक ने बाहर से सामान खरीद करने की फर्म शिवा इंटरनेशल कंपनी की हुबहू फर्म यहां विनोबाबस्ती के पते पर बना डाली। इस हुबहू फर्म को 650 गद़दे खरीद करने काअनुबंध हुआ। प्रत्येक गददे की कीमत 1032 रुपए निर्धारित की। ऐसे में फर्म को 12 लाख 54 हजार 737 रुपए का भुगतान किया गया।
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गददा खरीद घोटाले में तत्कालीन सीएमएचओ डा. नरेश बंसल समेत छह समेत छह जनों के खिलाफ एफआइआर

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