आठ दशक पहले बनी चार मंजिला इमारत धराशायी

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श्रीगंगानगर. करीब अस्सी साल पहले सदर बाजार में चार मंजिला इमारत ताश के पत्तों से धराशायी हो गई। यह तो गनीमत रही कि इस इमारत के गिरने के दौरान किसी जान माल का नुकसान नहीं हुआ। शनिवार सुबह दस बजकर दस मिनट पर देखते देखते यह इमारत का अगला हिस्सा एकाएक गिर गया। इससे कई बिजली के पोल और टेलीफोन केबल टूट गई। जिला प्रशासन ने एतिहात के तौर पर वहां सिविल डिफेंस की टीम को बुलाकर सदर बाजार के मुख्य गली में वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। वहीं इमारत गिरने के आसपास की दुकानों को सुरक्षा की दृष्टिगत बंद करा दिया। इसके साथ साथ नगर परिषद प्रशासन की टीम ने दो जेसीबी मशीनों के माध्यम से सड़क पर गिरे मलबे को हटाने की प्रक्रिया शुरू कराई। यह प्रक्रिया दोपहर तीन बजे तक रही। इस इमारत के साथ एक अन्य इमारत भी जर्जर अवस्था में है, यह इमारत भी अपनी अंतिम सांसे गिन रही है। इस इमारत में कोई दुकान या घर संचालित नहीं है। इस इमारत के मालिक परिवार हनुमानगढ़ शिफ़ट हो चुका है। ऐसे में दुकानदारों ने इस इमारत के ऊपर का हिस्सा जिससे भारी जान माल का नुकसान हो सकता है, हटाने के लिए जिला प्रशासन को अवगत कराया है।कभी थी यह सेठ सुखलाल की हवेलीशहर में धनाढ़य सेठ सुखलाल ने अपने जीवनकाल में सदर बाजार में 42 गुणा 67 फीट साइज की चार मंजिला इमारत बनाई थी। सदर बाजार में नोहरा नम्बर 33 को शहर में सेठ सुखलाल की हवेली के नाम से ज्यादा पहचान मिली। वर्ष 1927 में इस हवेली के दस्तावेज में सेठ सुखलाल की पत्नी वीना देवी तलवानियां के नाम से मालिकाना हक था। बताया जाता है कि 1989 में इस इमारत के नीचे तीन दुकानें और एक गोदाम को फुटेला परिवार के राजेन्द्र कुमार और उसके भाईयों ने मालिक के वारिस से खरीद कर लिया। लेकिन सेठ की दोहती अधिवक्ता सुनीता ने इस खरीद को जायज वारिस के बिना सहमति पर अवैध बताते हुए अदालत की शरण ली। यह मामला पिछले तीस सालों से अदालत में विचाराधीन है।भवन को ध्वस्त कराने की जताई थी इच्छाइस भवन के निचले हिस्से के मालिक राजेन्द्र फुुटेला ने बीरबल चौक के पास एक मकान के एकाएक झुकने के दौरान 11 जुलाई को नगर परिषद को इमारत को ध्वस्त कराने का आग्रह किया था लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की। फुटेला के अनुसार नगर परिषद खुद इस इमारत को तीन साल पहले असुरक्षित घोषित किया था। लेकिन तोड़ने पर पहल नहीं की।आयुक्त बोले, विवाद के कारण अटकी प्रक्रियानगर परिषद आयुक्त रविन्द्र सिंह यादव ने बताया कि शनिवार को सदर बाजार में नोहरा नं. 33 मंजिला जर्जर भवन गिरने से पहले इस इमारत के संबंध में नोटिस जारी किए गए थे लेकिन इस प्रोपर्टी के विवाद होने के कारण इमारत को ध्वस्त कराने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इधर, एक्सईएन मंगतराय सेतिया ने बताया कि मलबा हटाने और बिजली-टेलीफोन के पोल ठीक कराने के संबंधित खर्चा भवन मालिक से वसूला जाएगा।दो मिनट पहले निकली तो बची जानइस भवन के ऊपर की मंजिल में रहने वाली अधिवक्ता सुनीता लालगढिया ने बताया कि महज दो मिनट पहले वह भवन से बाहर निकली थी। इस भवन के निचले हिस्से में काबिज लोगों ने जेसीबी चलाकर रात को काम कराया था। इस संबंध में वह रात को कोतवाली भी गई और भवन गिरने की आंशका व्यक्त करके भी आई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस अधिवक्ता का कहना था कि इस भवन के मलबे में उसके पचास से अधिक केसों की फाइल के अलावा एलईडी, पंखें, कूलर, घरेलू सामान आदि दब गया है। इधर, सीप गुप्ता ने बताया कि इस भवन के निचले हिस्से बडी दरार देखकर कारीगरों को बुलाया तो उन्हेांने इस भवन से दूर रहने की सलाह दी थी। ऐसे में शनिवार सुबह सड़क के दोनेां छोर पर लोगों को इस गली में नहीं आने की बात कही।एसडीएम के साथ हुई तनातनीइस भवन की सुरक्षा को लेकर वहां सीप गुप्ता और युवा व्यापारी नेता दीपक डूंगाबुंगा ने मौके पर पहुंचे उपखंड अधिकारी रणजीत कुमार से सवाल जबाब किए तो वहां तनातनी का माहौल बन गया। उसी समय पुलिस दल को इन दोनेां को पकड़कर कोतवाली में लाने की बात कही। डूंगाबूंगा ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी आम आदमी की पीड़ा सुनना पसंद नहीं करते। शनिवार को हुए घटनाक्रम में भी यह देखने को मिला।दिखाई नहीं दिए व्यापारी नेताव्यापारी हित के मुद़दे पर ज्यादा मुखर रहने वाले व्यापारी नेता पूरे घटनाक्रम से गायब नजर आए। सदर बाजार में इस बड़ी हादसा टलने के बाद भी कई नेता यहां नहीं पहुंचे। आसपास दुकानदारों का कहना था कि कुछ व्यापारी नेता एक ही प्रोपर्टी के दोनेां पक्षकारेां के बीच सुलह कराने की बजाय दोनों को समर्थन देकर खुद पीछे हट गए है।एकाएक थमा ट्रेफिक, लोगों को हुई परेशानीगुरु तेग बहादूर मार्ग पर वाहनेां की आवाजाही रोक दी गई। इससे लोग सदर बाजार की दूसरी गलियों और पुरानी धानमंडी से बाजार एरिया में पहुंचे। सदर बाजार की मुख्य रोड पर मलबे के ढेर होने के कारण पुलिस जाब्ता तैनात कर लोगों को अन्य रास्तों से जाने की सलाह दी गई।

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