मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में राइजिंग राजस्थान समिट के तहत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में हुए एमओयू की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने कहा कि इन समझौतों से राज्य में 6 लाख से अधिक नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिससे प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने निवेशकों से अपने प्रोजेक्ट्स की स्थापना के लिए चरणबद्ध समयसीमा निर्धारित करने और तय अवधि में कार्य पूरा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की प्रगति से राज्य सरकार को समय-समय पर अवगत कराएं।
प्रत्येक परियोजना के लिए नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त
शर्मा ने बताया कि प्रत्येक परियोजना के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रतिमाह सभी प्रस्तावों की गहन समीक्षा कर रही है।
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बैठक में जानकारी दी गई कि राइजिंग राजस्थान समिट के तहत 66.40 गीगावाट क्षमता की पवन व हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए करीब ₹4.23 लाख करोड़ के 31 एमओयू हुए हैं। इनमें से ₹2 लाख करोड़ के निवेश हेतु 26,970 मेगावाट क्षमता वाली 14 परियोजनाएं पंजीकृत हो चुकी हैं, जबकि 12 एमओयू के तहत कार्य प्रारंभ हो गया है।
बैटरी स्टोरेज व पंप भंडारण में भी हुआ भारी निवेश
बैटरी स्टोरेज परियोजनाओं के लिए 53,900 करोड़ के 18 एमओयू हुए हैं। इनमें बैटरी मैन्युफैक्चरिंग हेतु 6,250 करोड़ के 5 तथा बैटरी स्टोरेज विकास के लिए ₹47,650 करोड़ के 13 समझौते शामिल हैं। वहीं, पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए ₹1.52 लाख करोड़ के निवेश से 20.5 गीगावाट क्षमता के 13 एमओयू हुए हैं। इनमें सीपीएसयू द्वारा ₹73,800 करोड़ की लागत से 6,940 मेगावाट की 4 परियोजनाएं तथा निजी क्षेत्र द्वारा ₹78,067 करोड़ से 13,600 मेगावाट की 9 परियोजनाएं शामिल हैं।
राजस्थान को बनेगा ऊर्जा क्षेत्र में सरप्लस स्टेट
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में सरप्लस स्टेट बनाने की दिशा में नवीकरणीय ऊर्जा की अहम भूमिका है। सरकार की योजना अगले कुछ वर्षों में राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 30 गीगावाट से बढ़ाकर 125 गीगावाट करने की है। इसके लिए सौर और पवन ऊर्जा के साथ-साथ पंप स्टोरेज व बैटरी स्टोरेज जैसे नवाचारों को प्राथमिकता दी जा रही है।