गर्मियों की दस्तक के साथ ही जोधपुर शहर में जलापूर्ति में व्यवधान का दौर भी शुरू हो गया है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि 22 अप्रैल 2025 को शहर के अधिकांश हिस्सों में जलापूर्ति नहीं की जाएगी। यह निर्णय फिल्टर हाउस, जल भंडारण केंद्रों, पंप हाउस और पाइपलाइनों के रखरखाव व सफाई कार्यों को लेकर लिया गया है।
अधीक्षण अभियंता राजेन्द्र मेहता ने बताया कि 22 अप्रैल को कायलाना, चौपासनी और सुरपुरा फिल्टर हाउस से जुड़े सभी क्षेत्रों में जलापूर्ति पूरी तरह बंद रहेगी। इन क्षेत्रों में 22 अप्रैल की जलापूर्ति 23 अप्रैल को, जबकि 23 अप्रैल की आपूर्ति 24 अप्रैल को की जाएगी। इस बदलाव से आमजन को पेयजल की योजना पूर्वक व्यवस्था करने की सलाह दी गई है।
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झालामण्ड व तख्त सागर क्षेत्रों में रहेगी आंशिक आपूर्ति
जलापूर्ति में आंशिक बदलाव झालामण्ड और तख्त सागर फिल्टर हाउस से जुड़े इलाकों में भी देखने को मिलेगा। इनमें सरस्वती नगर, कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड के विभिन्न सेक्टर, पाल बाईपास व शिल्पग्राम क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में 22 अप्रैल को सुबह 10 बजे तक जलापूर्ति सामान्य रहेगी, लेकिन इसके बाद क्रमशः 23 और 24 अप्रैल की आपूर्ति एक-एक दिन आगे खिसकाई जाएगी। यानी 23 अप्रैल की आपूर्ति अब 24 अप्रैल को और 24 की आपूर्ति 25 अप्रैल को होगी।
इंदिरा गांधी नहर क्लोजर भी बना कारण
गौरतलब है कि शहर की जलापूर्ति व्यवस्था काफी हद तक इंदिरा गांधी लिफ्ट नहर परियोजना पर आधारित है। गर्मियों के साथ नहर क्लोजर की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जिससे शहर की पानी आपूर्ति पर सीधा असर पड़ा है। पिछले दो महीनों से विभिन्न इलाकों में रखरखाव व सफाई के नाम पर जलापूर्ति बाधित हो रही है, जिससे आमजन को खासा परेशान होना पड़ रहा है।
विभाग ने की यह अपील
जन स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस दौरान जल का सदुपयोग और संचय करें, ताकि इस अंतराल में किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके। विभाग का दावा है कि कार्यों के पूरा होते ही नियमित जलापूर्ति फिर से सुचारु कर दी जाएगी।
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जल संकट की आशंका, व्यवस्था पर सवाल
हालांकि, आम जनता और सामाजिक संगठनों की ओर से इस बार गर्मियों की शुरुआत में ही जल आपूर्ति को लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि गर्मी में पानी का संकट होना आम बात हो चली है, परंतु साल-दर-साल समय रहते वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए जाते, जिससे हर बार जनता को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।