Bundi: रणथंभौर की युवा बाघिन आरबीटी 2508 को रामगढ़ में किया शिफ्ट, अब आरवीटी-5 के नाम से बनाएगी अपना नया इलाका

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रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर-1 में मंगलवार को रणथंभौर की युवा बाघिन को मेज नदी किनारे बने बजाल्या एनक्लोजर में शिफ्ट किया गया। बाघिन को दोपहर में रणथंभौर से ट्रेंकुलाइज कर रेड़ियो कॉलर लगाया तथा शाम 4 बजकर 20 मिनट पर रामगढ़ में रिलीज कर दिया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्वीकृति के बाद वन विभाग एक सप्ताह से राज्य की मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा के निर्देशन में बाघिन को रामगढ़ में शिफ्ट करने की तैयारियों में था और मंगलवार को यह सफलता मिली।

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बाघिन की शिफ्टिंग के दौरान रणथंभौर व रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का वन अमला, पशु चिकित्सक, वन्यजीव प्रेमी तथा एनटीसीए के प्रतिनिधि मौजूद थे। बाघिन के व्यवहार व स्वास्थ्य की नियमित जांच के बाद इसे जल्दी ही खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि रणथंभौर की बाघिन एरोहेड के तीन युवा शावकों ने त्रिनेत्र गणेश मंदिर क्षेत्र व फोर्ट इलाके में अपना आशियाना बना रखा था।

पिछले दिनों हुई तीन घटनाओं में एक बच्चे सहित तीन लोगों को मौत के घाट उतारने की घटनाओं में भी इन्ही बाघ शावकों के शामिल होने की आशंका के चलते विभाग ने मजबूरी में इन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय किया था। इनमें से एक नर बाघ को धौलपुर करौली टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा चुका है और एक मादा बाघिन को आज रामगढ़ में शिफ्ट किया गया। एक मादा रणथंभौर में ही एनक्लोजर में बंद है, जिसे जल्दी ही मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व में भेजा जाएगा।

रामगढ़ के पूरे जंगल में आरवीटी-1 का राज

राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में अस्तित्व में आए रामगढ़ में मंगलवार को बाघिन की शिफ्टिंग होने के साथ ही बूंदी के जंगलों में लंबे अरसे बाद बाघों की संख्या 7 तक पंहुच गई है। अब इस फिर से उभरते टाइगर रिजर्व में 3 नर व चार मादा बाघिन हो गई है, जिनमें एक जोड़ा वयस्क तो एक नर व तीन मादा युवा बाघ है, जबकि एक नर बाघ युवा होता शावक है। इस समय पूरे जंगल में आठ साल के युवा बाघ आरवीटी-1 का राज है। यह बाघ 5 सालों से रामगढ़ में मौजूद है तथा पूरे जंगल को अपनी टेरेटरी बना रखा है। इसी बाघ ने सरिस्का टाइगर रिजर्व से लाए गए युवा बाघ को मार डाला था।

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रामगढ़ में ऐसे घटा-बढ़ा बाघों का कुनबा

16 मई 2022 में रामगढ़ विषधारी को टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। रणथंभौर का टी-115 खुद प्राकृतिक रूप से चलकर जून 2020 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया, जिसको यहां आरवीटी-1 के रूप में पहचान मिली। वहीं आरवीटी-2 बाघिन (रणथंभौर की टी-102) 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया था, जिसका गत वर्ष कंकाल मिला था।

इस बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया जिनमें से अभी दो मादा शावक अभयारण्य में अपनी टेरेटरी बना चुकी है, एक शावक जीवित नहीं रहा। आरवीटी-3 बाघिन (रणथंभौर की टी-119) अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई। इस बाघिन ने नर शावक को जन्म दिया जो करीब एक साल का हो चुका है। कोटा के अभेड़ा बायलोजिकल पार्क से रामगढ़ में रिवाईल्ड करने के लिए भेजा गया बाघ अभी तक शॉफ्ट एनक्लोजर में शिकार करना सीख रहा है और उम्मीद है कि जल्दी ही उसे जंगल में रिलीज किया जाएगा। सरिस्का टाइगर रिजर्व से हरियाणा पंहुचे बाघ को रामगढ़ में आरवीटी 4 के रूप में शिफ्ट किया गया जिसकी आरवीटी-1 से टेरेटरी फाइट में दुखद मौत हो गई।

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