राजसमंद जिले में चारभुजा के कसार गांव में होली के उत्सव के दौरान गेर नृत्य करते सैवंत्री सरपंच विकास दवे की अचानक मौत हो गई। यह हादसा गुरुवार रात करीब 12:30 बजे का है। जब वे ग्रामीणों के साथ गेर नृत्य कर रहे थे। अचानक वे जमीन पर गिर पड़े। बाद में उन्हें तत्काल चारभुजा अस्पताल ले गए, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद राजसमंद रेफर कर दिया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
सेवंत्री सरपंच विकास दवे (53) रोज की तरह पारंपरिक गेर नृत्य कर रहे थे। नृत्य के दौरान वे पूरी तरह स्वस्थ और जोश से भरपूर थे। ग्रामीणों के अनुसार, वे पूरे उत्साह के साथ हंसते और झूमते हुए डांस कर रहे थे। उन्होंने बिना किसी परेशानी के दो राउंड पूरे कर लिए थे, लेकिन जैसे ही तीसरा राउंड शुरू हुआ, वे अचानक लड़खड़ाए और पीछे की तरफ गिर पड़े। गिरते ही वे बेहोश हो गए, जिससे वहां मौजूद लोग घबरा गए। ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें होश में लाने की कोशिश की। सबसे पहले उन्हें पानी पिलाया गया, लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। गांव के ही एक रिटायर्ड कंपाउंडर ने सीपीआर देकर उन्हें जगाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
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इसके बाद लोग उन्हें नजदीकी चारभुजा अस्पताल ले गए। चारभुजा अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत उन्हें राजसमंद के बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों प्रथम दृष्टया हृदयाघात से मौत होना बताया है, मगर वास्तविकता तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
परिवार और गांव में शोक की लहर
विकास दवे कसार गांव के ही रहने वाले थे और पिछले 10 वर्षों से सेवंत्री ग्राम पंचायत के सरपंच थे। उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली के कारण वे लगातार सरपंच पद पर बने हुए थे। उनके आकस्मिक निधन से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा गांव गहरे सदमे में है। विकास दवे के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। उनकी मृत्यु से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गांव में भी मातम पसरा हुआ है और लोग उनके द्वारा किए गए जनहित के कार्यों को याद कर रहे हैं।
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अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब
गांव के इस लोकप्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे। स्थानीय प्रशासन और कई राजनीतिक हस्तियां भी श्रद्धांजलि देने आईं। ग्रामीणों ने नम आंखों से सरपंच को अंतिम विदाई दी। इस तरह होली का उल्लास गम में बदल गया। जिस उत्सव में वे हर साल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे, वही पर्व उनके जीवन की अंतिम घड़ी बन गया। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है।