गुरु और शिष्य की पवित्र परंपरा को समर्पित गुरुपूर्णिमा महोत्सव 2025 रविवार को जयपुर के जेईसीसी परिसर में ऐतिहासिक भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर 20 हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने आध्यात्मिकता और सामाजिक एकजुटता का नया अध्याय रच दिया। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सेवा, संस्कार और समरसता का विराट मंच बन गया। कमलेश जी महाराज के सान्निध्य में हुए महोत्सव का केंद्रबिंदु रहे परम पूज्य श्री कमलेश जी महाराज। जैसे ही मंच से एक स्वर में ‘गुरुदेवो भवः’ का जयघोष गूंजा, पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया। भक्तों ने भाव-विभोर होकर गुरुवंदन किया।
राजनीति से आध्यात्म तक मंच पर दिखा संत परंपरा का सम्मान
इस ऐतिहासिक आयोजन में राजस्थान की राजनीति के कई प्रमुख चेहरे भी शामिल हुए। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है। चाहे राजनीति हो या व्यक्तिगत जीवन, गुरु ही सही दिशा दिखाते हैं। इस अवसर पर कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पूर्व सांसद रामचरण बोहरा, केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम, भाजपा जिला अध्यक्ष अमित गोयल, प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बागड़ी, मीडिया संयोजक प्रमोद वशिष्ठ और नगर निगम ग्रेटर उपमहापौर पुनीत कर्णावत समेत कई जनप्रतिनिधि मंच पर उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने साधा नमन
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु आज्ञा से ही ज्ञान की प्राप्ति संभव है। संत कमलेश जी महाराज के आशीर्वाद से हजारों श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। गुरु के बिना मुक्ति नहीं मिल सकती। मैं पूज्य कमलेश जी महाराज का आभार व्यक्त करता हूं, जो गुरु-शिष्य परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं। राठौड़ ने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं। गुरु ही जीवन को दिशा देता है। गुरु का न होना किसी के लिए भी दुर्भाग्य है।
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कैबिनेट मंत्री झाबर सिंह खर्रा बोले- ‘सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण’
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि सनातन संस्कृति में गुरु का सम्मान सर्वोपरि है। पूज्य कमलेश जी महाराज इस परंपरा को अनुशासित ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी संस्कारवान बनेगी। देश को विश्वगुरु बनाने की दिशा में यह एक अतुलनीय प्रयास है। अपने प्रवचन में पूज्य कमलेश जी महाराज ने कहा कि यह भक्तों का सच्चा प्रेम ही मेरी शक्ति है। हमें ऐसा समाज बनाना है जिसमें प्रेम, सहयोग और सद्भाव की धारा निरंतर बहे। धर्म और कर्म दोनों को साथ लेकर चलना ही सच्चे साधक की पहचान है।
श्रद्धा का महासागर: अनुशासन और सेवा का संगम
आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब केवल संख्या नहीं, बल्कि श्रद्धा और अनुशासन का प्रतिबिंब था। साधकों की सेवा भावना और संयम ने कार्यक्रम को अनुकरणीय बना दिया। विशेष पूजन, प्रवचन, ध्यान सत्र और भजन संध्या से पूरा वातावरण दिव्यता से भर गया। 25 वर्षों से पूज्य कमलेश जी महाराज सेवा, साधना और संस्कार की त्रिवेणी को जनमानस से जोड़ते आ रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में गायत्री भवन परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य और जनजागृति जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
भविष्य का संकल्प: गुरुपूर्णिमा बने जन-जागरण का पर्व
महोत्सव के अंत में संकल्प लिया गया कि हर वर्ष गुरुपूर्णिमा केवल धार्मिक अनुष्ठान न होकर सामाजिक जागरण का उत्सव बने। अंत में भव्य आरती, प्रसाद वितरण और गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कमलेश जी महाराज ने कहा कि नसंत समाज का दर्पण होते हैं। संतों का सम्मान करना ही समाज को दिशा देना है। यह संदेश हजारों श्रद्धालुओं के हृदय में संस्कार और समर्पण का संकल्प जगा गया। जयपुर की धरती पर वर्षों बाद ऐसा दृश्य देखने को मिला, जहां भक्ति का सागर उमड़ा और सामाजिक चेतना के साथ राजनीतिक सहभागिता का अनुपम संगम भी देखने को मिला। यह महोत्सव आने वाले वर्षों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।