रणथंभौर टाइगर रिजर्व की चर्चित बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ की शुक्रवार को मौत हो गई। वन विभाग के अनुसार, बाघिन पिछले कई दिनों से बेहद कमजोर नजर आ रही थी और ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। उसका शव शुक्रवार सुबह जोन नंबर-2 में मिला, जिसे पोस्टमार्टम के लिए राजबाग नाका लाया गया है। इसके बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
तीनों शावकों को किया गया शिफ्ट
रणथंभौर में पिछले दो महीनों में तीन लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार मानी जा रही एरोहेड की तीनों शावकों को वन विभाग ने रणथंभौर से बाहर भेज दिया है। शुक्रवार सुबह अंतिम शावक मादा ‘कनकटी’ (RBT-2507) को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, कोटा स्थानांतरित किया गया।
कनकटी ने की थी दो लोगों की हत्या
मादा शावक कनकटी वही बाघिन है, जिसने हाल ही में दो ग्रामीणों पर जानलेवा हमला किया था। हमलों के बाद उसे रणथंभौर के भीड़ नाके पर स्थित एनक्लोजर में कैद कर दिया गया था। शुक्रवार को वन विभाग की विशेष टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज, स्वास्थ्य परीक्षण और रेडियो कॉलर लगाने के बाद मुकुंदरा भेजा।
विशेष रेस्क्यू टीम ने किया ऑपरेशन
इस ऑपरेशन का नेतृत्व रणथंभौर टाइगर रिजर्व फर्स्ट के डीएफओ डॉ. रामानंद भाकर ने किया। उनके साथ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व कोटा के डीएफओ मुथु, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. सी.पी. मीणा, तेजस पाटील, मोहम्मद मैराज, राजशेखर, रामखिलाड़ी मीणा और जसकरण सिंह जैसे विशेषज्ञ शामिल रहे।
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पहले ही हो चुका है दो अन्य शावकों का स्थानांतरण
एरोहेड की अन्य दो संतानों को वन विभाग पहले ही शिफ्ट कर चुका है —
मादा शावक RBT-2508 को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी
नर शावक RBT-2509 को कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य, करौली
विशेष समिति और एनटीसीए की सिफारिश पर हुआ निर्णय
रणथंभौर में लगातार हो रहे बाघ हमलों को देखते हुए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की ओर से गठित विशेष समिति, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बाद यह निर्णय लिया गया।