कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं टोंक विधायक सचिन पायलट ने बुधवार मीडिया से मुखातिब होते हुए भारत-पाकिस्तान के मध्य अप्रत्याशित तरीके से हुए सीजफायर पर सवालिया निशान लगाते हुए केंद्र सरकार से मांग की है कि वह देश को बताये कि किन मापदंडों और आश्वासनों पर पाकिस्तान के साथ समझौता किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के मध्य जिस प्रकार से सीजफायर किया गया और उसकी घोषणा किसी तीसरे देश के राष्ट्रपति द्वारा की गई, यह बहुत ही अप्रत्याशित है। उन्होंने कहा कि जिस देश ने सीजफायर के कुछ घंटों बाद ही उसका उल्लंघन कर दिया हो वह भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं करेगा इसकी क्या विश्वसनीयता है।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आई.एम.एफ. द्वारा पाकिस्तान को बहुत बड़ा ऋण दिया गया है, अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के साथ व्यापार विस्तार की बात की जा रही है। ऐसे में इसकी क्या गारंटी है कि पाकिस्तान अपने संसाधनों का दुरूपयोग भारत के खिलाफ आतंकवाद को पनपाने के लिए नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हमेशा से ही कश्मीर द्विपक्षीय मामला रहा है, इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सारे दल, पक्ष-विपक्ष, पूरा देश एकजुट हैं। जो ताकते आतंकवाद को पनपाने का काम करती है, उनका सफाया होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेना ने जो शानदार प्रदर्शन किया है, उसके लिए भारतीय सेना की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।
पायलट बोले- प्रधानमंत्री का प्रदेश में स्वागत है
प्रधानमंत्री के प्रदेश के दौरे के संबंध में पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री का प्रदेश में स्वागत है। प्रधानमंत्री पहले भी कई बार प्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं, बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके गए हैं, जो कि धरातल पर नहीं उतरी हैं। उन्होंने मांग की कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना बनाने का वादा जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है, कम से कम इसे पूरा करके जाएं।
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भाजपा सरकार का रवैय्या पक्षपात वाला
भाजपा विधायक कंवरलाल की विधानसभा से सदस्यता मामले पर पायलट ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय न्यायालय के निर्णय के बाद स्थापित मापदंडों के बावजूद भाजपा सरकार अपने विधायक को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बिना किसी कारण राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता समाप्त की गई थी, जबकि इस प्रकरण में सब कुछ स्पष्ट होने के बाद भी भाजपा विधायक की सदस्यता पर सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है, जो कि भाजपा सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये को दर्शाता है।