चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित विश्वविख्यात श्री सांवलियाजी धाम में श्रद्धा और विश्वास का ऐसा उदाहरण सामने आया है जो न सिर्फ अद्वितीय है बल्कि भक्त और भगवान के रिश्ते की गहराई को भी दर्शाता है।
मध्यप्रदेश के धार जिले के नवादपुरा कुक्षी गांव निवासी एक श्रद्धालु ने हाल ही में व्यवसाय में नई मशीनरी खरीदी। इसके लिए उसने भगवान श्री सांवलिया सेठ का आभार जताते हुए उन्हें चांदी से बनी डंपर और पोकलेन मशीनें भेंट कीं। यह भेंट श्रद्धालु की ओर से मंदिर के भेंट कक्ष में ससम्मान अर्पित की गई, जिसका कुल वजन 1595 ग्राम रहा।
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मंदिर प्रशासन की ओर से इस श्रद्धालु का पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया। उन्हें श्री सांवलिया सेठ का प्रसाद दिया गया और ऊपरना ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। श्रद्धालु ने बताया कि यह भेंट उसकी आस्था और भगवान में अटूट विश्वास का प्रतीक है। उसने भगवान को अपने व्यवसाय का भागीदार माना और नई मशीनों की खरीदी की खुशी में यह विशेष भेंट अर्पित की।
सांवलियाजी को मानते हैं व्यवसाय में भागीदार
श्री सांवलिया सेठ के प्रति भक्तों की आस्था इतनी प्रगाढ़ है कि वे उन्हें अपने व्यापारिक जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। श्रद्धालु व्यवसाय में मुनाफा होने पर उसका एक भाग भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं। यही नहीं, मनोकामना पूरी होने पर भक्त चांदी और सोने की अनोखी वस्तुएं भी मंदिर को भेंट करते हैं। इससे पहले भी सांवलिया सेठ को सोने-चांदी के रथ, झूले और अन्य वस्तुएं अर्पित की जा चुकी हैं।
भव्यता और वैश्विक आस्था का प्रतीक है श्री सांवलियाजी मंदिर
श्री सांवलिया सेठ का मंदिर अब केवल स्थानीय श्रद्धा का केंद्र नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक आस्था का प्रतीक बन चुका है। अक्षरधाम की तर्ज पर निर्मित इस मंदिर में देशभर से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन को आते हैं। मंदिर की भव्यता, स्थापत्य और भगवान की मोहक छवि भक्तों को गहराई से प्रभावित करती है। यही कारण है कि यहां आस्था के साथ-साथ दान-दक्षिणा और भेंटों में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।
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भंडार में हर माह आता है करोड़ों का चढ़ावा
मंदिर प्रशासन के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को श्री सांवलिया सेठ का भंडार खोला जाता है और चढ़ावे की गणना की जाती है। यह गणना आमतौर पर पांच से छह चरणों में संपन्न होती है। आंकड़ों के मुताबिक, प्रति माह करीब 18 से 20 करोड़ रुपये की नकद राशि भगवान के भंडार में आती है। इसके अतिरिक्त बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के आभूषण और एंटीक वस्तुएं भी भेंट स्वरूप प्राप्त होती हैं, जिनमें अब चांदी से बनी डंपर और पोकलेन जैसी अनूठी वस्तुएं भी शामिल हो गई हैं।