रेंज कार्यालय भरतपुर की टीम ने करीब 400 करोड़ से अधिक की साइबर ठगी करने वाली गैंग का खुलासा कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की है। पुलिस महानिरीक्षक भरतपुर रेंज राहुल प्रकाश ने बताया कि मामले में पुलिस ने आरोपी रविंद्र सिंह पुत्र त्रिलोकी नाथ सिंह (54), निवासी बलिया, उप्र तथा दिनेश सिंह पुत्र दीनानाथ (49) और उसकी पत्नी कुमकुम को गिरफ्तार किया है।
महानिदेशक पुलिस साइबर क्राइम हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि साइबर थाना धौलपुर पर पीड़ित हरीसिंह द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फिनो पेमेंट बैंक के खाते के विरुद्ध साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। रेंज साइबर वॉर रूम की टीम द्वारा प्रतिदिन 1930 की शिकायतों का विश्लेषण किया जाता है।
डीजी प्रियदर्शी ने बताया कि जब उक्त शिकायत का विश्लेषण किया गया तो अत्यंत चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि जिस बैंक खाते के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई थी, उसी खाते के विरुद्ध 1930 पर उस समय करीब 3000 शिकायतें दर्ज थीं, जो अब बढ़कर 4000 से भी अधिक हो गई हैं। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए साइबर थाना धौलपुर में शिकायत के आधार पर त्वरित रूप से मामला दर्ज करने के निर्देश दिए गए। प्रकरण की व्यापकता को देखते हुए एसपी कच्छावा द्वारा अनुसंधान अपने पर्यवेक्षण में रखकर रेंज कार्यालय के इंस्पेक्टर महेन्द्र सिंह को सौंपा गया, सहयोग के लिए एएसआई दिनेश कुमार एवं हेड कांस्टेबल जितेन्द्र सिंह की टीम गठित की गई।
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डीजी प्रियदर्शी ने बताया कि फिनो पेमेंट बैंक के जिस खाते के विरुद्ध 4000 से अधिक साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज पाई गई हैं, उसकी जांच में पता चला कि धौलपुर के परिवादी के 35 लाख रुपये जिन चार कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किए गए, उनमें रूकनेक इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, सेल्वा कृष्णा आईटी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, एसकेआरसी इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड और नित्यश्री मेन पॉवर एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्क्स शामिल हैं।
अनुसंधान अधिकारी द्वारा अनुसंधान के दौरान उक्त चारों कंपनियों के बैंक खातों को तत्काल प्रभाव से डेबिट फ्रीज करवाया गया, जिसमें वर्तमान में लगभग 4 करोड़ रुपये की राशि डेबिट फ्रीज की गई है। इन कंपनियों की जांच में सामने आया कि रूकनेक इंटरप्राइजेज के डायरेक्टर दिनेश और कुमकुम हैं, सेल्वा कृष्णा आईटी के डायरेक्टर सी. कृष्ण कुमार और सेल्वा कुमार, एसकेआरसी इन्फोटेक प्रा.लि. के डायरेक्टर रोशन बिहोर और वेंकटेश बल्लया बदलाकोंडा और नित्यश्री मेन पॉवर एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्क्स के डायरेक्टर भारथीधसन सुसराज और पुरुषोत्तम पलानिअप्पन हैं।
यह गिरोह आर्थिक रूप से अत्यंत कमजोर व्यक्तियों को मासिक रूप से दी जाने वाली राशि से संतुष्ट कर उनके नाम पर कंपनियां खोलता है। इनके द्वारा गेमिंग एप्स के फर्जी लिंक, शेयर बाजार में निवेश का झांसा देकर लोगों से ठगी की जाती है। पिछले चार माह में ही करीब 400 करोड़ की ठगी का लेनदेन इन कंपनियों के खातों में हुआ है। संभावना है कि आगे के अनुसंधान में ठगी की राशि 1000 करोड़ या इससे अधिक हो सकती है।
अब तक के अनुसंधान के अनुसार इस गैंग का सरगना रविंद्र सिंह है, जिसने एमबीए तक शिक्षा प्राप्त की है। उसका भांजा शशिकांत सिंह, जो तकनीकी रूप से उसकी सहायता करता है, उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले के बमरौली का निवासी है। इन गिरोह के सदस्यों ने विभिन्न पेमेंट गेटवे जैसे फिनो पेमेंट, बुक बॉक्स, फोन पे, अबु डांस पेमेंट, पे वाइज, ट्राई पे पर मर्चेंट अकाउंट जारी करवा रखे हैं। इन मर्चेंट अकाउंट्स में आया हुआ पैसा आरोपियों के विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर हो जाता है। ठगी की राशि कई स्तरों से होकर मुख्य सरगना तक पहुंचती है। इनके द्वारा खोले गए कंपनी के पते व बैंक खातों में दिए गए पते अधिकतर फर्जी हैं और इनके द्वारा उपयोग किए गए सिम कार्ड भी फर्जी नाम-पते से चालू किए गए हैं, जो रविंद्र सिंह द्वारा जान-बूझकर उपलब्ध करवाए गए हैं। संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन भी रविंद्र द्वारा ही कराया जाता है। यह भी जानकारी में आया है कि ये लोग सीए की सेवाएं भी ले रहे हैं। आरोपियों और उनकी कंपनियों के कई बैंकों में खाते हैं। इन खातों की वेरीफिकेशन प्रक्रिया में क्या-क्या खामियां रही हैं, इस पर अनुसंधान हेतु संबंधित बैंक मैनेजरों को नोटिस जारी किए गए हैं और अग्रिम विधिक कार्रवाई की जा रही है।
मुख्य सरगना रविंद्र सिंह पहले अपने पहचान वाले और आसपास के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से धीरे-धीरे नजदीकी बनाता है। फिर उन्हें पैसे का लालच देकर उनके नाम से दो व्यक्तियों के कागजात लेकर कंपनियां खुलवाता है। इसके लिए सभी जरूरी दस्तावेज कंपनी का पैन कार्ड, जीएसटी, टैन व सीआईएन आदि जारी कराकर उसे मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से रजिस्टर्ड करवाता है। इसके बाद कंपनी के नाम से बैंक में खाता खुलवाता है और उस बैंक खाते को स्वयं संचालित करता है, जिन लोगों के नाम से कंपनियां रजिस्टर्ड की जाती हैं, उन्हें मासिक रूप से बहुत ही छोटी राशि देकर संतुष्ट कर दिया जाता है।
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कंपनी रजिस्टर्ड होने के बाद ये लोग फर्जी गेमिंग ऐप और निवेश का झांसा देकर ठगी शुरू करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गेम और इन्वेस्टमेंट के कई लिंक भेजकर पहले छोटी-छोटी राशि निवेश करवाई जाती है और जीतने पर राशि खातों में डाली जाती है। धीरे-धीरे ये लोग पीड़ित से निवेश की राशि बढ़वाते हैं और अंत में गबन कर लेते हैं। इस प्रक्रिया में ये लोग पीड़ित के मोबाइल का एक्सेस भी प्राप्त कर लेते हैं और उसी मोबाइल से, उसी नाम से, नई आईडी बनाकर आगे फ्रॉड करते हैं।
ये लोग एक कंपनी को सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि तक ही उपयोग में लेते हैं। उसके बाद दूसरी कंपनी खोल लेते हैं और फिर उसी तरह की ठगी शुरू कर देते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है। इसका प्रमाण यह है कि फिनो पेमेंट बैंक के एक खाते पर लगभग 100 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं और सभी कंपनियों के विरुद्ध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज हैं। जैसे ही किसी कंपनी पर शिकायत दर्ज होती है, वे उसमें लेनदेन बंद कर देते हैं और नई कंपनी से फ्रॉड शुरू कर देते हैं। आरोपियों की धरपकड़ में दिल्ली पुलिस द्वारा सराहनीय सहयोग प्रदान किया गया।
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