भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को जयपुर में एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस और विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो नेता विदेशों में सबसे ज्यादा घूमते हैं, वही विदेश नीति को सबसे कम समझते हैं।
डॉ. त्रिवेदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन टीआरएफ पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता बताया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने 26/11 जैसे हमलों के बाद भी शांति वार्ता की राह अपनाई, लेकिन मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंक के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि कूटनीति के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि हासिल की।
उन्होंने दावा किया कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का ही परिणाम है कि देश एक ओर क्वाड जैसे सामरिक समूह का सदस्य है, तो दूसरी ओर रूस से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदता है और अमेरिका से पेट्रियॉटिक ड्रोन भी लेता है। ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव भारत की पहल पर ही आया, जो इस बात का संकेत है कि भारत आज वैश्विक मंचों पर निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
विपक्षी दलों के रवैये पर टिप्पणी करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में इतना गैर-जिम्मेदार विपक्ष पहले कभी नहीं देखा गया। जब देश आतंकवादियों के ठिकानों पर कार्रवाई करता है, तब विपक्ष सवाल उठाता है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत का समर्थन करते हुए कहा था कि ‘जैसे को तैसा’ होना चाहिए। यह भी उल्लेखनीय है कि युद्धविराम भारत की शर्तों पर हुआ था।
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राहुल गांधी द्वारा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लेकर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी को संविधान की मूलभूत समझ नहीं है। सरकार बनते ही किसी को जेल भेजना सरकार का नहीं, बल्कि न्यायपालिका का अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की टिप्पणियां बताती हैं कि विपक्ष न तो संविधान का सम्मान करता है और न ही शासन प्रणाली की बुनियादी जानकारी रखता है।
उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर त्रिवेदी ने राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस समय यह जघन्य घटना हुई, उस वक्त गहलोत सरकार ने पीएफआई को मार्च की अनुमति दी थी। यह सिर्फ नारेबाजी नहीं थी, ‘सिर तन से जुदा’ जैसी बात वास्तव में हुई थी। त्रिवेदी ने कहा कि गहलोत को उस समय अपनी सरकार की भूमिका पर आत्ममंथन करना चाहिए। महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी और कहा कि इंडी गठबंधन इसे मुद्दा बना रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि एनडीए मजबूत है और इंडी गठबंधन अंदरूनी रूप से बिखर रहा है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर टिप्पणी करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव के समय अरविंद केजरीवाल ने स्वयं उन्हें भ्रष्ट करार दिया था, ऐसे में अशोक गहलोत को पहले उनसे ही सवाल करना चाहिए। अहमदाबाद में हाल ही में हुए विमान हादसे को लेकर न्यायिक जांच की विपक्ष की मांग पर उन्होंने कहा कि विमान हादसे तकनीकी होते हैं और ऐसे संवेदनशील विषयों पर राजनीति करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निम्न स्तर की मानसिकता को दर्शाता है।