Rajasthan News: सिस्टम बना बीमार, मरीजों के हाल बेहाल, एक साल से फाइलों के जाल में फंसा डॉक्टर्स का प्रमोशन

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राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाने वाले सरकारी डॉक्टर्स खुद सिस्टम की सर्जरी के मोहताज हो चुके हैं। राज्य में ग्रुप-2 श्रेणी के 1200 से ज्यादा डॉक्टर्स का प्रमोशन पिछले एक साल से लटका हुआ है। सचिवालय में फाइलें धूल खा रही हैं और डॉक्टर्स अपने हक की सीनियरिटी के लिए सरकारी सिस्टम की ‘दवा’ का इंतजार कर रहे हैं।

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प्रमोशन प्रक्रिया में हो रही देरी की वजह से जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सीनियर और जूनियर स्पेशलिस्ट की तैनाती प्रभावित हुई है। नतीजतन मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं मिल पा रहा और स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं।

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प्रस्तावित प्रमोशन में डॉक्टर्स को मेडिकल ऑफिसर से सीनियर मेडिकल ऑफिसर, सीनियर मेडिकल ऑफिसर से चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (CMHO) और एमडी डिग्रीधारी MO को जूनियर स्पेशलिस्ट (JS) से सीनियर स्पेशलिस्ट (SS) के पद पर पदोन्नत किया जाना था। अप्रैल 2024 में डीपीसी होनी थी, लेकिन प्रक्रिया अब तक अधूरी पड़ी है।

सूत्रों के मुताबिक प्रमोशन के लिए जरूरी डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी की फाइल पिछले छह महीनों से सचिवालय में पेंडिंग है। डॉक्टर्स का आरोप है कि प्रशासनिक स्तर पर जान-बूझकर फाइल मूवमेंट में देरी की जा रही है, जिससे सैकड़ों डॉक्टर्स का करियर अधर में है।

स्वास्थ्य विभाग की मुख्य सचिव गायत्री ए. राठौड़ ने बताया कि प्रमोशन प्रक्रिया में देरी की बड़ी वजह एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट का अधूरा रह जाना है। कई डॉक्टर्स ने अब तक अपनी ACR रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी है। विभाग की ओर से इन्हें अंतिम नोटिस जारी कर दिया गया है। रिपोर्ट न भेजने वाले डॉक्टर्स को प्रमोशन प्रक्रिया से बाहर कर शेष को पदोन्नति दी जाएगी।

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इस समय 200 से ज्यादा डॉक्टर्स APO की स्थिति में हैं। ये डॉक्टर्स केवल 10-15 दिन में मुख्यालय आकर हाजिरी लगाते हैं, लेकिन सेवा में सक्रिय नहीं हैं। इसके बावजूद हर महीने सरकार को इन पर बिना किसी सेवा लाभ के करोड़ों रुपये वेतन के रूप में खर्च करना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार ग्रुप-2 के डॉक्टर्स को हर 6 साल में पदोन्नति मिलनी चाहिए लेकिन यह समय सीमा अब कागजों तक सिमटकर रह गई है। पहले यह देरी 6 से 10 महीनों की होती थी, लेकिन इस बार मामला 1 साल से भी ज्यादा लंबित है।

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