राजस्थान में आपातकाल अवधि में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा), डीआरआई और सीआरपीसी के तहत जेल में रहे लोगों को अब लोकतंत्र के सेनानी के रूप में जाना जाएगा। भजनलाल सरकार ने कानून बना कर इन लोकतंत्र सेनानियों को हर माह 24 हजार रुपए सम्मान राशि देने का प्रावधान किया है। इस संबंध में विधानसभा में शुक्रवार को ‘राजस्थान लोकतंत्र के सेनानियों का सम्मान विधेयक, 2024’ ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
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विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि राजस्थान के मूल निवासी, जो आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से लड़े और ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के कारण मीसा या भारत रक्षा नियम, 1971 या दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन जेल में निरूद्ध रखे गए थे। उन लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि, चिकित्सा सहायता एवं निःशुल्क परिवहन सुविधा दी जाएगी। राष्ट्रीय उत्सवों पर जिला मजिस्ट्रेट उन्हें आमंत्रित करेंगे। इनकी मृत्यु होने पर पति या पत्नी को जीवनभर सम्मान राशि, चिकित्सा सहायता मिलती रहेगी। कानून में आपातकाल की अवधि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक निर्धारित की गई है। वर्तमान में राजस्थान में कुल 1140 लोकतंत्र सेनानी हैं। सम्मान राशि के तहत इनके लिए 20 हजार रुपए मासिक पेंशन और चार हजार रुपए मासिक चिकित्सा राशि का प्रावधान किया गया है।
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पटले बोले- आपातकाल काला अध्याय
पटेल ने कहा कि भारत की पहचान लोकतंत्र की जननी के रूप में थी, लेकिन आपातकाल लोकतंत्र के लिए काला अध्याय बन गया। भारतीयों की आजादी छीन ली गई। लोकतंत्र सेनानियों ने लड़ाई लड़ी, जिससे लोकतंत्र को पुनः स्थापित हुआ। हमारी सरकार उन्हीं सेनानियों और उनके परिवार के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि आपातकाल तो आज है। बीते दस वर्षों में 190 नेताओं पर केस दर्ज हुए। चुनी हुई सरकारें गिराई गईं। नसबंदी से ज्यादा नोटबंदी में लोग मर गए। कांग्रेस ने विधेयक का विरोध किया।
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कांग्रेस ने की थी पेंशन बंद
राजस्थान में 2013 की तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन शुरु की थी। लेकिन, इसे लेकर कानून नहीं बनाया। ऐसे में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2019 में यह पेंशन बंद कर दी। भजनलाल सरकार ने आते ही जनवरी, 2024 में सम्मान राशि फिर शुरू की और अब इसे कानूनी रूप दे दिया।
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