राजस्थान सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता, सरकारी वकीलों एवं लोक अभियोजकों की नियुक्तियां राजनीतिक आधार पर किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांग लिया है।
मामले में अधिवक्ता पूनमचन्द भण्डारी ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राजस्थान सरकार में नियुक्त किए जाने वाले अतिरिक्त महाअधिवक्ता, सरकारी वकील एवं लोक अभियोजकों की नियुक्तियां योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। साथ यह भी कि लंबे समय से राज्य सरकार में बिना किसी मेरिट के आधार पर सरकारी अधिवक्ता नियुक्त किए जाते हैं एवं ज्यादातर अधिवक्ता ऐसे नियुक्त हो जाते हैं, जो इस पद के लायक नहीं होते हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इस मामले में कई बार उच्च न्यायालय ने भी गंभीर टिप्पणियां की हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. टी.एन. शर्मा एवं अभिनव भंडारी के अनुसार अगर अधिवक्ताओं का चयन मेरिट के बेसिस पर होता है तो न्याय में तेजी आएगी एवं न्यायालय को भी सही निर्णय करने में सहायता मिलेगी। अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने महावीर व अन्य बनाम हरियाणा राज्य के मामले में सरकारों द्वारा राजनीतिक आधार पर अधिवक्ताओं की नियुक्ति पर चिंता जताई है और कहा है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर नहीं हो तथा अधिवक्ताओं की योग्यता, उनकी कानून के बारे में जानकारी तथा उनका बैकग्राउंड और इंटीग्रिटी के आधार पर नियुक्तियां होनी चाहिए।
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कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार राजनीतिक आधार पर नियुक्तियां करती है तो इससे उचित न्याय नहीं हो पाता है और न्यायालय का समय भी बर्बाद होता है साथ ही आम जनता में भी गलत मैसेज जाता है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि वर्तमान सरकार में भी कई अधिवक्ताओं की नियुक्तियां बिना मेरिट के आधार पर की गई हैं, जिन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। वहीं राज्य सरकार के द्वारा सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए कोई दिशा-निर्देश भी नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए कि जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं के चयन के लिए गाइड लाइन बनाई गई है वैसी गाइड लाइन सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए बनाई जाए।
याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता उपस्थित हुए। हाईकोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या पहले ऐसे कोई मामले निस्तारित हुए हैं तो महाधिवक्ता ने कहा कि पहले जोधपुर में ऐसा मामला निस्तारित हुआ है, लेकिन जजमेंट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लंबित है और एक अन्य अतिरिक्त महा अधिवक्ता से संबंधित मामला जयपुर में लंबित है। इस पर न्यायालय ने उन्हें दो सप्ताह में उन मामलों से संबंधित आदेशों की प्रति न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
मामले की सुनवाई राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने की तथा प्रकरण को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। प्रकरण में अधिवक्ता आईजे कथूरिया, राकेश चंदेल, भूपेंद्र सिंह राव, विष्णु दत्त भारद्वाज भी याचिकाकर्ता भंडारी की तरफ से उपस्थित रहे।