राजस्थान में गुर्जर आरक्षण की चिंगारी एक बार फिर सुलगती नजर आई, लेकिन इस बार मामला सरकार के आश्वासन पर शांत हो गया कम से कम ऊपर से। भरतपुर के पीलूपुरा में हुई गुर्जर महापंचायत भले ही शांतिपूर्वक समाप्त हो गई हो, लेकिन इसके तुरंत बाद कुछ युवाओं द्वारा दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम करना नए सियासी बवाल की वजह बन गया है।
गुर्जर समाज की इस महापंचायत का नेतृत्व विजय बैंसला ने किया, जो खुद गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष और दिवंगत कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी रही कि महापंचायत उसी जगह आयोजित हुई, जहां 2008 में कर्नल बैंसला ने ऐतिहासिक आंदोलन की नींव रखी थी। लेकिन इस बार मामला थोड़े वक्त में ठंडा पड़ गया, हालांकि ट्रैक पर बैठी भीड़ ने एक बार फिर हलचल पैदा कर दी।
बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में राठौड़ ने कहा कि गुर्जर आंदोलन जब भी होता है, भाजपा की सरकार में ही क्यों होता है? कांग्रेस की सरकार में ऐसा क्यों नहीं होता? क्या यह सब कुछ प्रायोजित नहीं है?
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राठौड़ ने ये भी जोड़ा कि वसुंधरा राजे की सरकार में भी गुर्जर आंदोलन हुआ था और अब भजनलाल शर्मा की सरकार के शुरुआती महीनों में ही फिर वही हालात बन रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, अगर यह आंदोलन गहलोत और सचिन पायलट की हालिया मुलाकात के बाद भड़का है, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या यह सिर्फ संयोग है या इसके पीछे कोई सियासी प्रयोग?
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विजय बैंसला को लेकर बयान में नरमी, लेकिन चेतावनी भी
जब उनसे पूछा गया कि विजय बैंसला खुद बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, तो राठौड़ ने कहा, विजय बैंसला ने समाज के मंच से मांग उठाई है, जो उनका हक है। लेकिन अपनी मांगों को मनवाने के लिए आमजन को परेशान करना, रेलवे ट्रैक जाम करना, ये सही तरीका नहीं है। आंदोलन का अधिकार सबको है, लेकिन लोकतंत्र में अनुशासन भी जरूरी है।
जनजीवन नहीं हो अस्त-व्यस्त–सरकार का सख्त रुख
राठौड़ ने साफ कहा कि सरकार ने लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने नहीं दिया। उन्होंने हमारी सरकार पूरी तरह सतर्क थी। आंदोलन करने का हक सभी को है, लेकिन शांति बनाए रखते हुए। रेलवे ट्रैक या सड़कें जाम करके किसी भी मांग को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार समाज के साथ संवाद में विश्वास रखती है, लेकिन ट्रैक रोकने जैसे कदमों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।