देश की पहली ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी धोलेरा के नाम पर दो भाइयों ने ऐसा जाल बुना कि 70 हजार लोगों की जिंदगी से सेविंग खाली हो गई। यह एक सुनियोजित फ्रॉड था, जिसमें देश के पूर्व सैनिक, पुलिसकर्मी और आम नागरिक अपने लाखों-करोड़ों रुपये गंवा बैठे। ईडी की ताजा छापेमारी के बाद यह 2700 करोड़ का मनी लॉन्ड्रिंग केस फिर चर्चा में आ गया है। इस हाई-प्रोफाइल ठगी के मास्टर माइंड हैं सीकर जिले के पनलावा गांव के दो सगे भाई– सुभाष बिजारणियां और रणवीर बिजारणियां। सुभाष सेना से रिटायर हुए थे। उन्होंने रियल एस्टेट में कदम रखते हुए रणवीर के साथ 2021 में नेक्सा एवरग्रीन नाम की कंपनी बनाई। दावा किया गया कि उनकी कंपनी धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा है और उनके पास वहां 1300 बीघा जमीन है।
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कंपनी ने फ्लैट, प्लॉट और पूंजी निवेश पर शानदार रिटर्न देने का वादा किया। स्मार्ट सिटी के सरकारी सपनों की चमक ने लोगों का भरोसा और बढ़ाया। कंपनी ने एजेंटों का ऐसा नेटवर्क खड़ा किया, जिसमें मोटा कमीशन ऑफर किया गया। देशभर से निवेशक जुड़े और करीब 70 हजार लोगों से 2700 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए गए। कई एजेंटों ने खुद भी निवेश किया और दूसरों को भी जोड़ते चले गए।
सुभाष ने रिटायरमेंट के बाद मिले 30 लाख रुपयों से जमीन खरीदी। रणवीर ने एक लोकल डीलर राजल जांगिड़ के साथ मिलकर योजना तैयार की। खास बात यह रही कि दोनों भाई पहले खुद एक चेन सिस्टम कंपनी में 50 लाख रुपये गंवा चुके थे। यह नुकसान शायद उनके लिए फॉर्मूला बन गया और उन्होंने खुद का चेन मॉडल खड़ा कर लिया बस इस बार पैकेजिंग और लोकेशन हाई-प्रोफाइल थी।
2023 की शुरुआत में नेक्सा एवरग्रीन अचानक बंद हो गई। निवेशक जब तक कुछ समझ पाते, दोनों भाई गायब हो चुके थे। एजेंटों को भी कोई जानकारी नहीं दी गई। जोधपुर के करवड़ थाने में केस दर्ज हुआ, जिसमें तीन एजेंट मेघसिंह, शक्ति सिंह और सुरेंद्र सिंह जेल में हैं लेकिन मुख्य आरोपी सुभाष और रणवीर अब तक फरार हैं।
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मामले में अब जाकर 12 जून को ईडी की टीमें सीकर, झुंझुनू, जयपुर और जोधपुर में सक्रिय हुईं। इन जगहों पर मारे गए छापों में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं। ईडी अब आरोपी भाइयों की संपत्तियों की तलाश में है और जब्ती की प्रक्रिया भी आगे बढ़ सकती है। इस घोटाले में सबसे दर्दनाक पहलू है कि कई पूर्व सैनिक, पुलिसकर्मी और बुजुर्ग निवेशकों ने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई गंवा दी। हजारों लोग अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। हालांकि ईडी की सक्रियता से थोड़ी उम्मीद जगी है कि अगर आरोपियों की संपत्तियां जब्त हो पाईं, तो कुछ हद तक रकम रिकवर हो सकती है।
नेक्सा एवरग्रीन घोटाला केवल एक फ्रॉड नहीं, बल्कि यह सिस्टम पर भरोसे की हत्या है। एक सपना, जो स्मार्ट सिटी के नाम पर शुरू हुआ और हजारों लोगों को बर्बाद कर गया। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या कानून उन भाइयों को पकड़ सकेगा, जिनकी वजह से हजारों जिंदगियां बर्बाद हो गईं।