राजस्थान विधानसभा में एक और विधेयक प्रवर समिति को चला गया है। शुक्रवार को सदन में चर्चा के लिए लाए गए भू-राजस्व संशोधन विधेयक का कांग्रेस और भाजपा विधायकों ने विरोध किया। इसके बाद स्पीकर ने वासुदेव देवनानी ने इस बिल को प्रवर समिति को भेज दिया।
बीजेपी की वरिष्ठ विधायक अनिता भदेल ने कहा कि बिल में जो सेक्शन जोड़े किए हैं, वह न्याय के सिद्धांथ के खिलाफ है। भदेल ने कहा कि हमारे सरकारी सिस्टम में लैंड यूज चेंज करने का अधिकार डेवलपमेंट अथॉरिटी और निकायों को दिया गया है, तो ऐसी क्या आवश्यकता पड़ी कि हमें लैंड यूज चेंज करने का अधिकार रीको को देना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब हमने रीको को पहले ही उद्योगों को विकसित करने के लिए जमीन दी है तो वह लैंड यूज चेंज क्यूं करना चाहता है।
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भदेल ने कहा अगर रीको को लैंड यूज चेंज करना है तो वह सक्षम विभागों को मंजूरी के लिए फाइल भेज सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें अफसरों ने कहीं आपको गुमराह तो नहीं किया है तो अगर किया है तो आपको इसमें देखना चाहिए। भदेल ने कहा कि आनन-फानन में यह बिल नहीं लाया जाना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव लंबे समय तक पड़ते हैं।
रविंद्र भाटी बोले- राजस्थान की जमीन कंपनियों के चरणों में रख दी
शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी ने बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि मेरे पास सरकार की पिछली कई कैबिनेट बैठकों के प्रेस नोट हैं। हर बैठक में लैंड अलॉटमेंट के मामले हैं। भाटी बोले सरकार ने पूरे पश्चिमी राजस्थान की जमीन अंग्रेजों के समान मल्टीनेशनल कंपनियों के चरणों में रख दी है। भाटी ने कहा कि डवलपमेंट के नाम पर बहुत बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि यह जमीनें किसकी हैं।
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हरिमोहन शर्मा बोले- उद्योग मंत्री ने चालाकी से जवाब आपके सर डाल दिया
कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए राजस्व मंत्री हेमंत मीणा से कहा कि उद्योग मंत्री ने योजना बनाकर आप जैसे सीधे-साधे मंत्री के सर बिल पर जवाब देने का काम डाल दिया। नहीं तो इस पर बिल पर जवाब उद्योग मंत्री को देना चाहिए था। शर्मा ने कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से यह संशोधन लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कोटा में जेके सिंथेटिक नाम से एक कंपनी थी जिसने बीमार होने पर अराफात नाम की कंपनी से एग्रीमेंट किया कि इस फैक्ट्री को दोबारा से चलाएगी। एम्प्लायमेँट देगी और बकाया भुगतान भी देगी। लेकिन आज तक मजदूर रो रहे हैं वहां फैक्ट्री नाम की चीज नहीं है। शर्मा ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने 2014 में इसकी जांच करवाई। जांच के आदेश तो फाइल में है लेकिन जांच रिपोर्ट गायब है। इसके बाद कंपनी की तरफ से रीको बोर्ड में आवेदन किया गया है कि इस 227 एकड़ जमीन को कमर्शियल कर दिया जाए और इसका सब डिविजन कर दिया जाए। रीको ने इसके पक्ष में फैसला कर दिया। लेकिन इसके बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और रीको के फैसले को सरकार ने गलत ठहरा दिया। शर्मा ने कहा कि इसके बाद अराफात कंपनी हाईकोर्ट चली गई जहां कंपनी के पक्ष में फैसला अया। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई जहां सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया। शर्मा ने कहा कि मौजूदा सरकार जो भू राजस्व संशोधन बिल ला रही है वह 10 हजार करोड़ रुपए की मूल्य वाली इसी जमीन के लिए है।
गर्ग बोले- बिल के बहाने खेला हो रहा
आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने बिल के विरोध में बहस की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए रीको को जो अधिकार दे रहे हैं उसमें बड़े-बड़े उद्योगपति, भू माफिया और ब्यूरोक्रेट्स शामिल हैं। उन्होंने राजस्व मंत्री से कहा कि इस बिल को लाकर आप अपने ही हाथ काट रहे हैं क्योंकि रीको ऑटोनोमस ऑर्गनाइजेशन है, वह आपको पूछेगा ही नहीं।