परिजनों का आरोप है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। उन्होंने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता और मृतकों के परिजनों को संविदा पर नौकरी देने की मांग की है। इन मांगों को लेकर परिजन, ग्रामीण और जनप्रतिनिधि एसके अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए।
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धरने में सीकर सांसद अमराराम, उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल और कांग्रेस नेता भंवरलाल वर्मा भी शामिल हुए। सांसद अमराराम ने कहा कि यह हादसा बिजली विभाग और ठेकाकर्मियों की लापरवाही का परिणाम है। विभाग की अनदेखी के कारण पहले भी कई हादसे हुए हैं लेकिन आज तक किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक परिजनों की सभी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक धरना जारी रहेगा।
मृतक नरेंद्र के भाई प्रकाश चंद्र ने बताया कि काम के दौरान मौके पर कोई अधिकारी मौजूद नहीं था और न ही बिजली का शटडाउन लिया गया था। यह पूरी तरह विभाग की लापरवाही है। हमें न्याय चाहिए। उन्होंने मांग की कि दोषी विद्युत कर्मचारियों को निलंबित किया जाए और परिजनों को उचित मुआवजा तथा नौकरी दी जाए।
परिजनों ने दो टूक कहा कि जब तक सरकार और विभाग उनकी मांगों को पूरा नहीं करते, वे शवों का पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे। इस बीच अस्पताल परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और धरने पर बैठे लोगों से समझाइश का प्रयास किया जा रहा है।
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