राजस्थान के सभी 41 जिलों में ऑपरेशन शील्ड के तहत युद्ध जैसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल्स का आयोजन किया जा रहा है। इस व्यापक स्तर के अभ्यास का उद्देश्य नागरिक प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और आमजन के बीच आपसी समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं की जांच करना है। जयपुर, जैसलमेर, अलवर, करौली, भीलवाड़ा, टोंक, राजसमंद, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा और अन्य जिलों में आयोजित ये अभ्यास इस बात का प्रमाण हैं कि राजस्थान अब किसी भी आपदा से निपटने को पूरी तरह सतर्क और सुसज्जित हो रहा है।
जयपुर के आर्मी एरिया में बजे एयर रेड के सायरन, फिर हुआ ब्लैक आउट
जयपुर के आर्मी एरिया में ’ऑपरेशन शील्ड’ के तहत मॉक ड्रिल एवं ब्लैक आउट का हुआ सफल आयोजन किया गया। जिला प्रशासन, पुलिस सहित संबंधित एजेंसियों एवं विभागों ने अपनी तैयारियां परखीं। देर शाम नौ बजे खातीपुरा रोड स्थित जयपुर मिलिट्री स्टेशन के रिहायशी इलाके में इस मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।
इसमें ब्लैक आउट के दौरान जदुनाथ विहार, भारतेंदु नगर, जसवंत नगर, खातीपुरा का चिन्हित परिधि क्षेत्र अंधेरे में रहा। आम जन ने भी स्वेच्छा से ब्लैक आउट को सफल बनाया। ब्लैक आउट के दौरान सभी लाइट बंद रखी गईं। प्रशासन की मौजूदगी में ब्लैक आउट के दौरान गाइडलाइन की पूरी पालना हुई। इस दौरान रास्ते से गुजरने वाले वाहनों की भी लाइट बंद करवाकर उन्हें साइड में खड़ा करवा दिया गया। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने ऑपरेशन शील्ड की मॉनिटरिंग की।
जैसलमेर में युद्ध जैसी स्थिति का अभ्यास, फिर बजेगा सायरन
रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण जैसलमेर जिले में 31 मई को एक और मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें शाम पांच बजे हवाई हमले का सायरन बजाया गया। इसके तुरंत बाद जिले के प्रमुख इलाकों में ब्लैकआउट लागू किया जाएगा, ताकि हवाई हमले जैसी वास्तविक स्थिति का अभ्यास किया जा सके। ड्रोन हमले और विस्फोट की परिकल्पना के बीच पुलिस, सेना, फायर ब्रिगेड, चिकित्सा और नागरिक सुरक्षा दल अलर्ट मोड में रहेंगे।
यह अभ्यास केंद्र सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है और देश के चार राज्यों तथा दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ चलाया जा रहा है। जैसलमेर जैसे सीमावर्ती इलाके में इस प्रकार की मॉक ड्रिल इसलिए और भी जरूरी है क्योंकि यह भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है और किसी भी संकट की स्थिति में प्रथम प्रतिक्रिया का केंद्र बनता है।
इससे पहले सात मई को हुई मॉक ड्रिल में कुछ प्रशासनिक खामियां जैसे सूचना विलंब और विभागीय समन्वय की कमी उजागर हुई थी। इन खामियों को दूर करने के लिए 31 मई की ड्रिल को अधिक संगठित, समन्वयित और यथार्थवादी तरीके से आयोजित किया गया।
अलवर के कॉलेज परिसर में सायरन बजते ही तीन मिनट में सक्रिय हुईं 12 विभागीय टीमें
बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय अलवर में आयोजित मॉक ड्रिल में प्रशासन की तत्परता का स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला। ड्रिल की परिकल्पना के अनुसार जैसे ही कॉलेज परिसर पर हवाई हमला हुआ, प्राचार्य ने जिला प्रशासन को सूचित किया और महज दो से तीन मिनट में 12 विभागीय टीमें मौके पर पहुंच गईं।
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इन टीमों में पुलिस, दमकल, चिकित्सा, होमगार्ड, नगर निगम, परिवहन, PWD और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। जिला कलेक्टर डॉ. अर्तिका शुक्ला ने स्वयं ड्रिल की निगरानी की और बताया कि पिछली बार की तुलना में इस बार मेडिकल और रेस्क्यू ऑपरेशन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
घायल छात्रों को इमारत से बाहर निकालकर एंबुलेंस से प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भेजा गया, फायर ब्रिगेड ने आगजनी को नियंत्रित किया और पुलिस बल ने परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित की। छात्रों और स्टाफ की सक्रिय भागीदारी ने इस अभ्यास को और अधिक वास्तविक और प्रभावी बना दिया।
करौली में एकजुटता और त्वरित प्रतिक्रिया का बेहतरीन प्रदर्शन
राजकीय महाविद्यालय करौली में आयोजित ऑपरेशन शील्ड मॉक ड्रिल में हवाई हमले की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की टीमें सक्रिय हो गईं। घायल दिखाए गए 10–15 छात्रों को पहले मौके पर प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर उन्हें जिला अस्पताल तक पहुंचाया गया।
इस दौरान भीड़ नियंत्रण, रेस्क्यू ऑपरेशन, चिकित्सा सहायता और विभागीय समन्वय जैसे पहलुओं की गहन समीक्षा की गई। जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना, एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय, एएसपी गुमनाराम, एसी धर्मेंद्र मीणा, एसडीएम और डीएसपी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे और ड्रिल की संयुक्त निगरानी की। यह ड्रिल इस बात का संकेत थी कि करौली प्रशासन आपदा की घड़ी में एकजुट होकर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
टोंक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम में हुई मॉक ड्रिल
गृह विभाग के निर्देश पर टोंक शहर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम में शनिवार को सिविल डिफेंस द्वारा आपातकालीन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल के तहत विद्यालय में हवाई हमले से आग लगने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा, आरएसी, होमगार्ड, एंबुलेंस व फायर बिग्रेड समेत अन्य संबंधित विभागों की टीमें मौके पर लगभग तीन-चार मिनट में पहुंचीं। पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान एवं अतिरिक्त जिला कलेक्टर रामरतन सौकरिया ने स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान विद्यालय में हवाई हमले की स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न विभागों की प्रतिक्रिया और समन्वय की जांच की गई। मॉक ड्रिल के दौरान सभी विभागों ने समन्वय के साथ राहत और बचाव कार्यों का प्रदर्शन किया।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर सौंकरिया ने बताया कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य यह जांचना था कि आपदा की स्थिति में विभिन्न विभाग कितने सजग और तैयार हैं। इस तरह की मॉक ड्रिल से वास्तविक आपदा की स्थिति में तैयारियों की समीक्षा होती है और विभागों के बीच समन्वय मजबूत होता है।
एडीएम ने बताया कि पूर्व में सात मई को भी मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया था। उस दौरान पाई गई कमियों में इस बार सुधार किया गया। उन्होंने कहा कि हवाई हमले में 20 लोग घायल हुए हैं। इनमें पांच का प्राथमिक उपचार किया गया है। 15 घायलों को सआदत अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सकों द्वारा घायलों की स्थिति आकलन करने के पश्चात उन्हें आगे रेफर किया जाएगा।
पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने कहा कि पूर्व में रही कमियों का इस मॉक ड्रिल में सुधार किया गया। रेस्क्यू एजेंसियों के घटना स्थल तक पहुंचने के रास्ते को क्लियर कराया गया। साथ ही सभी एजेंसियों की ड्यूटी में प्रत्येक कार्मिक की ड्यूटी को चिन्हित किया गया। वास्तविक स्थिति में आने वाली चुनौतियों का आकलन किया गया।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ब्रिजेंद्र सिंह भाटी, तहसीलदार मानवेंद्र सिंह जायसवाल, पुलिस उपाधीक्षक होमगार्ड चाणक्य जायसवाल, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता दीन मोहम्मद, सीएमएचओ शैलेंद्र चौधरी, पीएमओ हनुमान प्रसाद बैरवा एवं राजकीय महाविद्यालय के एनसीसी अधिकारी लेफ्निेंट बाकीर हुसैन समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।
भीलवाड़ा के रिलायंस मॉल में की गई एयर स्ट्राइक, दिखी सतर्कता
भीलवाड़ा शहर के चित्तौड़ रोड स्थित रिलायंस मॉल में शनिवार शाम को एक मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इसमें आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन देखने को मिला। यह अभ्यास एयर स्ट्राइक के कारण मॉल में आग लगने की काल्पनिक सूचना के आधार पर किया गया, जिसका उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति में त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना था।
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इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जिला प्रशासन, पुलिस, अग्निशमन विभाग, सिविल डिफेंस, स्वास्थ्य विभाग तथा विद्युत विभाग सहित विभिन्न एजेंसियों ने भाग लिया। सायरन बजाकर मॉल में मौजूद आमजन को आग लगने की सूचना दी गई, जिसके बाद मॉल में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए सेफ हाउस एवं जिला चिकित्सालय में भेजा गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी स्वयं जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने की। उन्होंने नाथद्वारा सराय काशीपुरी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को बनाए गए सेफ हाउस का निरीक्षण कर वहां की चिकित्सा व्यवस्थाओं की समीक्षा की। इसके पश्चात वे महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय पहुंचे और गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों से मुलाकात कर उनके उपचार की जानकारी ली।
मॉक ड्रिल के अंत में राष्ट्रगान का आयोजन किया गया, जिससे कार्यक्रम को एक भावनात्मक और देशभक्ति पूर्ण समापन मिला। इस अवसर पर शहर विधायक अशोक कोठारी ने मॉक ड्रिल को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए जिला प्रशासन की प्रशंसा कर कहा कि इस तरह के अभ्यास आपातकालीन स्थितियों के लिए हमारी तैयारी को मजबूत करते हैं और आमजन को भी जागरूक बनाते हैं।
जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने कहा कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल समय-समय पर आयोजित की जाती हैं, ताकि आपात स्थिति में त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने सभी विभागों, स्वयंसेवकों और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए लोगों से अपील की कि मॉक ड्रिल के दौरान घबराएं नहीं और प्रशासन का सहयोग करें।
इस आयोजन के दौरान पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह, एडीएम प्रशासन ओमप्रकाश मेहरा, एडीएम सिटी प्रतिभा देवठिया, सहित पुलिस, स्वास्थ्य, अग्निशमन, विद्युत विभाग एवं अन्य एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
बालोतरा के उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल पर ‘ड्रोन हवाई हमले‘ की मॉक ड्रिल
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत शनिवार शाम बालोतरा के उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल में ‘ड्रोन हवाई हमले’ की मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया गया। इस दौरान आपातकालीन स्थिति में बचाव, राहत एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के उपायों को जांचा गया।
हॉट लाइन के माध्यम से शाम छह बजे जिला कलक्ट्रेट स्थित सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम पर उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल परिसर में ड्रोन से ‘हवाई हमला’ होने की सूचना मिली। कंट्रोल रूम कार्मिकों ने इसके बारे में तुरंत कंट्रोलर (जिला कलक्टर) टीना डाबी को बताया। उनके निर्देशानुसार सभी संबंधित विभागों को ‘ड्रोन हमले’ की सूचना देकर ‘घटना स्थल’ सिविल डिफेंस कार्यालय पर पहुंचने को कहा गया और सायरन बजाकर नागरिकों को सचेत किया गया।
‘ड्रोन हमले’ से भवन क्षतिग्रस्त हो गया और आग लग गई। चिकित्सा दल, एम्बुलेंस, नगर परिषद कार्मिक, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, रसद विभाग, पुलिस, अग्निशमन सहित संबंधित सभी विभागों ने तुरंत ‘घटना स्थल’ पहुंचकर राहत एवं बचाव के लिए रेस्क्यू अभियान शुरु किया। नगर परिषद से पहुंचे अग्निशमन वाहन ने ‘ड्रोन हमले’ से हुई ‘आगजनी’ पर काबू पाया। जोधपुर से पहुंची एसडीआरएफ ने टीम कमांडर के नेतृत्व में दो लोगों को रोप रेस्क्यू तथा एक जने को ध्वस्त ढांचे से निकाला। एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों ने घायल हुए 46 लोगों को इलाज के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से ‘घटना स्थल’ पर बनाए अस्थाई अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने सभी की जांच कर उपचार शुरु किया। इस दौरान 46 मामूली घायलों का प्राथमिक उपचार कर छुट्टी दे दी गई, जबकि गंभीर रूप से घायल शेष छह जनों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया। इस दौरान एनसीसी और स्काउट गाइड विद्यार्थियों ने आपात स्थिति में निपटने में विशेष मदद की।
जिला कलक्टर टीना डाबी एवं जिला पुलिस अधीक्षक नरेंद्र मीना ने मौके पर पहुंचकर मॉक ड्रिल की कार्रवाई एवं व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने पूर्वाभ्यास के प्रति संतोष व्यक्त कर कहा कि सभी विभागों ने बेहतर समन्वय के साथ त्वरित रिस्पॉन्स कर आपातकालीन स्थिति से निपटने का अच्छा प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सभी विभागों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण कर रिस्पॉन्स व्यवस्था को और बेहतर किया जाएगा। इस दौरान हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली, हॉट लाइन/रेडियो लिंक, नियंत्रण कक्षों की कार्यप्रणाली, मेडिकल, रसद और अग्निशमन जैसी व्यवस्थाओं को मॉक ड्रिल कर जांचा गया।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेंद्र सिंह चांदावत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जस्साराम बोस, उपखंड अधिकारी वीरमा राम सहित प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस अधिकारी, एनसीसी, एनएसएस, वॉलंटियर्स मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सात मई को भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार रेलवे स्टेशन बाड़मेर पर एयर रेड मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया गया था।
राजसमंद में पुलिस लाइन में एयर स्ट्राइक की सूचना पर मॉक ड्रिल, परखी व्यवस्थाएं
राजसमंद में 31 मई आयोजित मॉक ड्रिल में पुलिस-प्रशासन की सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक पाई गईं। पुलिस लाइन स्थित अन्वेषण भवन में एक एयर स्ट्राइक की सूचना प्राप्त हुई, जिसपर बड़ी तादाद में पुलिस के जवान, सिविल डिफेंस की टीमें, नगर परिषद की अग्निशमन गाड़ियां, चिकित्सा विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। साथ ही जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा, एडीएम नरेश बुनकर, एडिशनल एसपी महेंद्र पारीक एवं रजत विश्नोई, एसडीएम बृजेश गुप्ता, नगर परिषद आयुक्त बृजेश राय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।
नगर परिषद से आई फायर ब्रिगेड ने त्वरित प्रभाव से अन्वेषण भवन में लगी आग बुझाई। साथ-साथ घायल जवानों को पुलिसकर्मियों और सिविल डिफेंस की टीम ने मिलकर बिना किसी देरी के एम्बुलेंस में बैठाया और निकटवर्ती सुरक्षित भवन पहुंचाया, जहां प्रशासन की ओर से एक अस्थाई अस्पताल का निर्माण किया गया था। एक घायल को जवान कंधे पर लाद कर सीढ़ियों (निसेनी) से नीचे आता हुआ भी दिखाई दिया, जो टीम की सक्रियता को दर्शाता है।
अस्थाई अस्पताल में तुरंत मिला उपचार
अस्थाई अस्पताल में घायलों के उपचार के लिए सभी आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर सहित पर्याप्त संख्या में मेडिकल स्टाफ जैसे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ आदि मौजूद थे। मौके पर सीएमएचओ डॉ. हेमंत बिंदल और पीएमओ डॉ. रमेश रजक भी उपस्थित थे, जिन्होंने गंभीर घायलों को यहां से आरके जिला चिकित्सालय पहुंचाया। गंभीर घायलों को तुरंत ऑक्सीजन दी गई। कलक्टर ने भी प्रत्येक घायल से मिलकर हाल-चाल जाना।
पांच मिनट के अंदर ही पहुंच गए सभी
घटनास्थल पर पुलिस, चिकित्सा दल, स्थानीय प्रशासन, होम गार्ड्स, अग्निशमन सेवा, एनडीआरएफ, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स तथा अन्य स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही। सूचना के पांच मिनट के भीतर ही सभी आवश्यक राहत दल घटनास्थल पर पहुंच गए और उनके मध्य उत्कृष्ट समन्वय देखने को मिला।
‘आगे भी रहें सतर्क’
मॉक ड्रिल की समाप्ति पर जिला कलेक्टर बालमुकुंद असावा ने एक-एक कर सभी टीमों से मुलाकात की और तत्परता के लिए सराहना की। कलेक्टर ने कहा कि भविष्य में कोई खतरा होने पर सभी इसी तरह अलर्ट रहें और अपना-अपना दायित्व निभाएं।
हनुमान गढ़ में दो स्थानों पर मॉक ड्रिल, सभी विभागों की सक्रिय भागीदारी
हनुमानगढ़ जिला प्रशासन एवं नागरिक सुरक्षा विभाग के तत्वावधान में शनिवार को जिले में द्वितीय सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल ऑपरेशन शील्ड का आयोजन किया गया। यह अभ्यास हनुमानगढ़ टाउन के बस स्टैंड और टिब्बी के मसीतावाली हेड पर एक साथ शाम पांच बजे शुरू हुआ। इसका उद्देश्य आपदा की स्थिति में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय, तत्परता और प्रतिक्रिया समय का परीक्षण करना था।
टाउन बस स्टैंड पर विस्फोटक सामग्री और संभावित एयर स्ट्राइक की सूचना मिलते ही आपात सायरन बजा। तत्काल फायर ब्रिगेड, पुलिस, चिकित्सा विभाग, होमगार्ड, सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं। रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत आग पर नियंत्रण पाया गया और 20 घायल व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा देकर जिला अस्पताल पहुंचाया गया।
पुलिस द्वारा क्षेत्र को घेरकर आमजन को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, वहीं रोडवेज ने यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की। सभी विभागों ने अनुशासन और समन्वय के साथ भूमिका निभाई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासन आपात स्थितियों से निपटने के लिए सजग और सक्षम है।
जिला कलेक्टर और एसपी ने किया निरीक्षण
जिला कलेक्टर काना राम एवं पुलिस अधीक्षक भी टाऊन बस स्टैंड पर सायरन बजते ही 15 मिनट के अंदर पहुंचे और मॉकड्रिल की स्थिति का जायजा लिया। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बाद जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने बर्न यूनिट, ट्रॉमा सेंटर, पंजीकरण कक्ष, औषधि वितरण केंद्र और आपातकालीन कक्ष की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया।
जिला कलेक्टर ने बताया कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपदा की स्थिति में विभागों की तैयारियों और प्रतिक्रिया समय की जांच करना था, जिसमें सभी विभागों ने अनुशासित और संगठित कार्यशैली का प्रदर्शन किया। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है, आमजन प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।
टिब्बी के मसीतावाली हेड पर डूबते लोगों का रेस्क्यू अभ्यास
शाम पांच बजे ही टिब्बी क्षेत्र के मसीतावाली हेड पर धमाके और व्यक्तियों के डूबने की सूचना पर दूसरी मॉक ड्रिल की गई। सूचना मिलते ही पुलिस, चिकित्सा, होमगार्ड, सिविल डिफेंस और रेस्क्यू टीमें घटनास्थल पर पहुंची। घायलों को सुरक्षित निकालकर प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल भेजा गया। मौके पर एसडीएम सत्यनारायण सुथार, एडिशनल एसपी नीलम चौधरी, सीओ करण सिंह, सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा, तहसीलदार हरीश टाक मौजूद रहे।
जिलेभर में बजे सायरन, हमलों की स्थिति का किया गया अनुकरण
इस मॉक ड्रिल में वायुसेना के संभावित हमलों जैसे ड्रोन, मिसाइल और हवाई हमले की स्थिति का अनुकरण किया गया। वायुसेना और जिला नियंत्रण कक्ष के बीच हॉटलाइन की कार्यप्रणाली और एयर रेड सायरनों की प्रभावशीलता का परीक्षण किया गया। ब्लैकआउट और संचार व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की गई। स्वयंसेवी संगठनों जैसे एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस, स्काउट्स और गाइड्स के युवाओं ने भी मॉकड्रिल में सक्रिय भागीदारी निभाई। इस अभ्यास में 20 घायलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और 30 यूनिट रक्त एकत्र का पूर्वाभ्यास भी किया गया। इस अवसर पर एडीएम उम्मेदी लाल मीना, एएसपी जनेश तंवर, एसडीएम मांगीलाल सहित अनेक अधिकारी उपस्थित रहे। मॉक ड्रिल से पूर्व कलेक्टर एवं एसपी ने जिला नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण किया।
बांसवाड़ा में कागदी बांध के गेट पर मिसाइल अटैक, प्रशासन ने की मॉक ड्रिल
बांसवाड़ा में नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम पर शनिवार शाम पांच बजे बहादुर नाम के व्यक्ति द्वारा सूचना दी गई। इसमें बताया गया कि कागदी पिकअप वियर की ओर से धमाके की आवाज सुनाई दे रही है और वहां पर कुछ ड्रोन भी हवा में दिखाई दे रहे हैं। वहां पर पर्यटकों के होने की संभावना है, कोई बड़ी जन हानि न हो तो जल्द से जल्द मौके पर सहायता भिजवाने की कोशिश करें।
कंट्रोल रूम पर उक्त सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया और आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से प्रशासन, पुलिस कार्यालय एवं सिविल डिफेंस को सूचना दी गई। इसके बाद सभी विभाग हरकत में आ गए और इस डर से कि कोई बड़ी घटना न, हो इसे लेकर जिला कलक्टर डॉ. इन्द्रजीत यादव, पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाला, अतिरिक्त जिला कलक्टर अभिषेक गोयल और अन्य सभी विभागों के अधिकारी संसाधनों के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। मॉक ड्रिल की जानकारी देने पर सभी ने राहत की सांस ली।
घायलों को सिविल डिफेंस, होमगार्ड, नेहरू युवा केन्द्र, स्काउट गाइड के स्वयंसेवकों द्वारा रेस्क्यू किए जाने की मॉक ड्रिल की गई। पांच व्यक्ति को गंभीर अवस्था में और 10 व्यक्तियों के सामान्य घायलों को महात्मा गांधी चिकित्सालय में भेजा गया तथा अन्य को सुरक्षित स्थानों पर ले जा गया। गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों की पालन में आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए द्वितीय सिविल डिफेंस अभ्यास (ऑपरेशन शील्ड) के लिए जिला प्रशासन एवं सिविल डिफेंस की टीम की ओर से मॉक ड्रिल आयोजित की गई। अधिकारियों ने महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया, वहीं घायलों की कुशलक्षेम की जानकारी ली।
इधर, डूंगरपुर में भी गैपसागर की पाल पर मिसाइल से अटैक हुआ, जिसमें 15 से अधिक लोग घायल हो गए। जिला प्रशासन की नौकरी के दौरान विभागों के पहुंचने का भी समय नोट किया गया। किस दौरान जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह सहित पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे।
जोधपुर में सायरन बजाकर हुई मॉक ड्रिल, नोट किया गया विभागों का रिस्पांस टाइम
जोधपुर में 8:23 बजे के अचानक सायरन बजा और ब्लैक आउट कर दिया गया। पूरे शहर की लाइट बंद कर दी गई, साथ ही वाहनों की लाइट भी बंद करवा दी गई। बंद लाइटों में ही एंबुलेंस कैजुअल्टी की सूचना पर गंतव्य पर पहुंचने के लिए रवाना हुईं। इसी तरीके से जोधपुर में मॉक ड्रिल की गई।
केंद्र सरकार के आदेश के बाद 31 मई को सीमावर्ती तमाम राज्यों में मॉक ड्रिल की गई। जोधपुर में भी मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया 8:23 बजे अचानक सायरन बजा और ब्लैक आउट कर दिया गया। सड़क पर चल रही वाहनों की लाइट भी बंद थी। इसी बीच कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि एक जगह पर काफी लोग घायल हुए हैं, जिसके बाद तमाम विभागों की टीमें गंतव्य तक रवाना हुईं। एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस, दमकल, डॉक्टरों की टीमें, पुलिस और होमगार्ड के तमाम जवान गंतव्य तक पहुंचे। इसके बाद घायलों को तुरंत स्ट्रेचर पर लिटा कर अस्पताल भेजा गया। इस बीच सेना की टुकड़ी भी मौके पर पहुंच गई। सेना के डॉक्टरों ने कमान संभाली और चंद मिनट में ही एक छोटा सा अस्पताल बनाकर घायलों का इलाज शुरू कर दिया गया।
जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल, डीसीपी आलोक श्रीवास्तव, संभागीय आयुक्त सहित तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे और उनके निर्देशन में सभी घायलों को अस्पताल ले जाया गया अस्पताल में पहले ही सूचना कर तमाम चिकित्सकों को अलर्ट कर दिया गया और डॉक्टरों की टीम अस्पताल में मौजूद रही।
सेना के जवानों की तत्परता देख सीना गर्व से हुआ चौड़ा
सूचना के बाद सेना की मेडिकल टीम भी मौके पर पहुंची। मेडिकल यूनिट के जवानों ने चंद सेकंड में ही एक छोटा सा अस्पताल शुरू कर दिया और तमाम घायलों को सेना की एंबुलेंस में डालकर अस्पताल पहुंचा दिया गया। सेना के जवानों की इतनी फुर्ती देखकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
रेलवे स्टेशन जालौर में नागरिक सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए हुआ मॉक ड्रिल
भारत सरकार के निर्देशानुसार द्वितीय सिविल डिफेंस अभ्यास ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत नागरिक सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने को लेकर शनिवार को रेलवे स्टेशन परिसर जालौर में नागरिक सुरक्षा अभ्यास (मॉक ड्रिल) का आयोजन किया गया। इसके तहत रेलवे स्टेशन पर बमबारी से 30 व्यक्तियों के घायल होने की सूचना पर जिला प्रशासन, पुलिस, मेडिकल, एनडीआरएफ के 15 सदस्य दल, होमगार्ड के 60 सदस्य दल, सिविल डिफेंस द्वारा राहत, बचाव एवं सुरक्षा व्यवस्थाओं को परखा गया।
मॉक ड्रिल में जिला कलक्टर डॉ. प्रदीप के. गावंडे व जिला पुलिस अधीक्षक ज्ञानचन्द्र यादव के निर्देशन में जिला प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिविल डिफेंस, अग्निशमन, एनसीसी, सार्वजनिक निर्माण विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, डिस्कॉम, सहित नागरिक सुरक्षा सेवाओं की रेस्पोंस टाइम के क्रियान्वयन का आंकलन तथा आपातकालीन निकासी योजनाओं की तैयारी और उनके कार्यान्वयन का मूल्यांकन किया गया। सूचना मिलने पर तुरंत जिला प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा, अग्निशमन, एंबुलेंस, सिविल डिफेंस पहुंचे तथा त्वरित कार्रवाई करते हुए दलों द्वारा घायलों को तुरंत रेस्क्यू कर उपचार के लिए एंबुलेंस के माध्यम से चिकित्सालय ले जाया गया। मॉक ड्रिल के दौरान एनसीसी कैडेट्स व स्काउट्स ने भी सहयोग किया।
मौके पर बनाया गया अस्थाई अस्पताल
मॉक ड्रिल के दौरान बनाए गए अस्थाई अस्पताल में घायलों को तुरंत ले जाकर उपचार कर आवश्यकतानुसार जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहीं, पुलिस की फोरेंसिक की टीम ने सबूत जुटाए और त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक डमी संदिग्ध को गिरफ्तार भी किया।
जालौर शहर में रात 8.30 बजे हुआ ब्लैक आउट
ऑपरेशन शील्ड’ के तहत नागरिक सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए शनिवार को जालौर शहर में रात 8.30 बजे से 8.45 तक ब्लैक आउट की मॉक ड्रिल की गई। इसकी सूचना सायरन और हूटर बजाकर दी गई। सायरन बजने पर सभी नागरिकों ने यथास्थिति में अपने घरों, दुकानों, होटलों, भवनों, वाहनों, कार्यालय या किसी भी परिसर की सभी लाइटें स्वेच्छा से बंद कीं। घर की खिड़कियों और दरवाजों पर काले पर्दे या कवर से ढका, ताकि रोशनी बाहर न जाए।
इस दौरान ड्रिल के समय निर्धारित समय पर बिजली के सभी उपकरण बंद किए गए। सभी ड्रिल के समय शांत रहे और अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया। ब्लैकआउट के दौरान सभी जरूरी दिशानिर्देशों का पालन किया।
इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर (अति. प्रभार) नंदकिशोर राजोरा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोटाराम गोदारा, उप पुलिस अधीक्षक गौतम जैन, उप वन संरक्षक जयदेवसिंह चारण, पीएचईडी के अधीक्षण संजय शर्मा, डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता धर्मेन्द्र प्रजापति, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता रमेश सिंघारिया, जिला परिवहन अधिकारी जालौर ओमप्रकाश चौधरी, एनडीआरएफ के आर.एस.पटेल, होमगार्ड के डिप्टी कमांडेंट वी.एस.राठौड़, थानाधिकारी अरविन्द राजपुरोहित, सहित विभागीय अधिकारी, पुलिस, सिविल डिफेंस के कार्मिक मौजूद रहे।
कोटा में आर्मी एरिया में एक साथ कई ड्रोन से हमले से हड़कंप, निकली मॉक ड्रिल
कोटा शहर के आर्मी एरिया में शनिवार को एक साथ कई ड्रोन से हमले की सूचना आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष में मिलते ही सिविल डिफेंस, फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीमों एवं एम्बुलेंस के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग बुझाने का काम शुरू किया वहीं सिविल डिफेंस की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गईं। पहली मंजिल पर फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ। सिविल डिफेंस कर्मियों ने हमले वाली जगह पर एक अस्थाई हॉस्पिटल तैयार किया। वहां सिविल डिफेंस कर्मियों की मदद के लिए पहुंचे डॉक्टर्स की टीम घायलों के तुरंत उपचार में जुट गई। गंभीर घायलों को एम्बुलेंस से सीधे हॉस्पिटल पहुंचाया गया।
ड्रोन हमले की सूचना आपदा नियंत्रण कक्ष को मिलते ही जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी इसकी सूचना कंट्रोल रूम से मिली, जिसपर अधिकारी मौके पर पहुंचे। कलेक्टर की निगरानी में राहत व बचाव कार्य चला। फायर ब्रिगेड की टीमों ने लेडर लगाकर एवं जाल बिछाकर ड्रोन हमले से लगी आग में फंसे लोगों को बाहर निकाला।
आर्मी एरिया में हुआ यह घटनाक्रम सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का हिस्सा था, जिसमें दुश्मन द्वारा एक साथ कई ड्रोन से हमला किए जाने पर सिविल डिफेंस का क्विक रिस्पांस परखने, समय पर राहत व बचाव कार्य शुरू करने, घायलों को फर्स्ट एड देकर एम्बुलेंस से हॉस्पिटल पहुंचाने, बिल्डिंग में लगी आग बुझाने एवं बचाए गए लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का पूर्वाभ्यास किया गया, ताकि वास्तविक रूप से हवाई हमला होने की स्थिति में राहत व बचाव कार्यों को समय पर शुरू कर लोगों की जान बचाई जा सके।
हवाई हमले की सूचना कंट्रोल रूम में मिलते ही पूरा प्रशासनिक अमला एक्टिव हो गया। पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों के साथ फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस एवं सिविल डिफेंस की टीमें कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई और राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। मॉक ड्रिल के दौरान घायलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया। पहली श्रेणी में आग में झुलसे लोग, दूसरी श्रेणी में अत्यन्त गंभीर तथा तीसरी श्रेणी में सामान्य रूप से घायल लोगों को रखा गया। घायलों को आपातकालीन चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए मौके पर ही अस्थाई अस्पताल भी तैयार किया गया। मॉक ड्रिल में 11 ब्रिगेड एवं 10 एम्बुलेंस की मदद से राहत एवं बचाव कार्य चलाए गए।
सिरोही में राजकीय मेडिकल कॉलेज में एयर स्ट्राइक पर मॉक ड्रिल
सिरोही जिले में ऑपरेशन शील्ड के तहत शनिवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज में एयर स्ट्राइक की मॉक ड्रिल कर सभी संबंधित विभागों की तैयारियों को परखा गया। इस मामले में प्रशासन को सूचना मिली थी कि सिरोही जिला मुख्यालय स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मोटिवेशनल स्पीच का कार्यक्रम चल रहा था। इस पर एयर स्ट्राइक होने से तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य लोग घायल हो गए। इस जानकारी पर त्वरित कार्रवाई के तहत घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी ने अस्पताल में पहुंचकर घायलों की कुशलक्षेम जानी। इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाशचंद अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रभुदयाल धनिया, उपखंड अधिकारी नीरज मिश्र, उपखंड अधिकारी हरिसिंह देवल एवं तहसीलदार जगदीश कुमार सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे जिम्मेदार अधिकारी
राजकीय मेडिकल कॉलेज में एयर स्ट्राइक की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी अलर्ट मोड पर आ गए। पुलिस, एंबुलेंस एवं फायर ब्रिगेड सहित सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सायरन के साथ पहुंचने का दौर शुरू हो गया। इस दौरान ऐसी किसी भी आपातकालीन स्थिति में आवश्यक सेवाएं यथा मुख्यालय सेवा, वार्डन सेवा, हताहत सेवा, अग्निशमन सेवा, संचार सेवा, बचाव सेवा, निस्तारण सेवा, पूर्ति सेवा, कल्याण सेवा, डिपो एवं परिवहन सेवा सहित अन्य सेवा की तैयारियों को परखा गया तथा घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने व आग पर काबू करने के प्रयासों का अभ्यास किया गया। जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी व पुलिस अधीक्षक अनिल बेनीवाल ने मौके पर स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में आवश्यक दिशानिर्देश भी दिए।
अजमेर में आधे घंटे के लिए रहा ब्लैक आउट, वाहनों पर लगा ब्रेक
अजमेर में शनिवार को आधे घंटे के लिए ब्लैक आउट रखा गया। जिला कलेक्टर लोक बन्धु ने बताया कि जन हानि से बचने के लिए शनिवार को रात 7.30 बजे से आठ बजे तक आधे घंटे का ब्लैक आउट किया गया। रात 7.30 बजे सायरन की आवाज तथा अन्य वैकल्पिक माध्यमों से ब्लैक आउट शुरू होने की सूचना दी गई। इसमें समस्त रोड लाइटें बंद रखी गई। आमजन ने स्वेच्छा से अपनी लाइटें बंद कर दीं।
उन्होंने बताया कि ब्लैक आउट का उद्देश्य जन हानि को रोकने के लिए दृश्यता कम करना होता है। रात के समय आबादी वाले क्षेत्रों की पहचान नहीं हो सकेगी। लाइट बंद रखने की प्रक्रिया ऑटो जनसेट तथा इनवर्टर से संचालित स्थलों के लिए भी अपनाई गई। वाहन का उपयोग लेते समय ब्लैक आउट की घोषणा होते ही वाहन की हैडलाइट बंद कर चालक एक तरफ खड़े हो गए। जिला कलेक्टर ने ब्लैक आउट में सहयोग करने के लिए आमजन का आभार जताया।
बूंदी बस स्टैंड पर ड्रोन हमले की सूचना से मचा हड़कंप, निकली मॉक ड्रिल
बूंदी शहर के मध्य स्थित व्यस्ततम बस स्टैंड पर अचानक अफरातफरी का माहौल बन गया, जब ड्रोन से हवाई हमले की सूचना फैली। हालांकि यह कोई वास्तविक हमला नहीं था, बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा आयोजित एक मॉक ड्रिल थी। इसका उद्देश्य शहर में किसी भी संभावित आतंकी घटना या आपदा से निपटने की तैयारियों का जायजा लेना था।
शाम के लगभग पांच बजे भारत सरकार के निर्देशानुसार ऑपरेशन शील्ड के तहत बूंदी बस स्टैंड पर एक ड्रोन के मंडराने की खबर आई। इसके तुरंत बाद सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किया गया। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीमें हरकत में आ गईं और बस स्टैंड को चारों तरफ से घेर लिया गया। मॉक ड्रिल के तहत ड्रोन द्वारा हमला किए जाने और बस स्टैंड पर कई स्थानों पर आग लगने की दृश्य बनाया गया।
आगजनी की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सायरन बजाती हुई मौके पर पहुंचीं और तेजी से आग बुझाने के काम में जुट गईं। दमकल कर्मियों ने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया। इस दौरान मॉक ड्रिल में घायल हुए लोगों को स्ट्रेचर पर लादकर एम्बुलेंस में जिला अस्पताल पहुंचाया गया। अधिकारियों के अनुसार, इस मॉक ड्रिल में कुल 32 लोगों को घायल दिखाया गया, जिन्हें प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया।
इस महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल के दौरान जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे। कार्यवाहक जिला कलेक्टर सुदर्शन सिंह तोमर, पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार मीणा, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा, जसवीर मीणा और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी सामर ने घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे ऑपरेशन का निरीक्षण किया। उन्होंने मॉक ड्रिल में भाग ले रही विभिन्न टीमों के कार्यों का जायजा लिया और आवश्यक दिशानिर्देश दिए।
मॉक ड्रिल के सफल समापन के बाद कार्यवाहक जिला कलेक्टर ने बताया कि इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य शहर में किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता को परखना था। इसी ड्रिल के तहत सभी विभाग मुस्तैदी के साथ बूंदी बस स्टैंड पर केवल आठ मिनट के समय के भीतर पहुंचकर जिला प्रशासन की मुस्तैदी का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि यह मॉक ड्रिल काफी सफल रहा और इससे सुरक्षाकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी तैयारियों का आकलन करने का अवसर मिला।
उन्होंने कहा कि इस तरह के मॉक ड्रिल भविष्य में भी नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे, ताकि किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे इस तरह के अभ्यासों को लेकर किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन का सहयोग करें।
नागरिकों से अपील- घबराएं नहीं, सहयोग करें
राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि यह केवल एक पूर्व नियोजित अभ्यास है, अतः सायरन बजने, लाइट बंद होने या सुरक्षा बलों की गतिविधियों से घबराएं नहीं। नागरिकों से कहा गया है कि वे अपने घरों या प्रतिष्ठानों में रहें, प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और किसी भी आपात स्थिति में संबंधित कंट्रोल रूम से संपर्क करें।
पूर्वाभ्यास ही है भविष्य की सुरक्षा की नींव
‘ऑपरेशन शील्ड’ जैसे अभ्यास महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह उस सजग और सशक्त तंत्र का प्रमाण हैं, जो किसी भी संकट की घड़ी में जनहानि को कम से कम रखने के लिए कार्य करता है। जैसलमेर जैसे सीमांत जिलों से लेकर अलवर और करौली जैसे शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्रों तक फैले ये अभ्यास दिखाते हैं कि राजस्थान अब न केवल संकट की आहट को पहचानता है, बल्कि उससे लड़ने के लिए तैयार भी है।
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