मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने पुलिस कार्यप्रणाली में उर्दू और फारसी भाषा में पत्रावली लिखे जाने को लेकर डीजीपी से बात की और उन्हें पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि पुलिस विभाग उर्दू और फारसी के शब्दों को हटाकर उनके स्थान पर सरल और सहज हिंदी शब्दों का प्रयोग करे।
उन्होंने कहा कि हमारी पुलिस कार्यप्रणाली, कानून व्यवस्था, कोर्ट और राजस्व प्रक्रियाओं में आज भी उर्दू और फारसी के शब्दों का उपयोग होता है। अंग्रेजों के समय और उससे पूर्व ये भाषाएं प्रशासनिक भाषा का हिस्सा थीं और स्कूलों में पढ़ाई जाती थीं लेकिन वर्तमान में न तो ये भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, न ही आम उपयोग में हैं। जब कोई नया पुलिस अधिकारी नियुक्त होता है तो उसे इन शब्दों को समझने में कठिनाई होती है और कभी-कभी तो कंसल्टेंट तक रखने पड़ते हैं।
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मंत्री ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और अधिकांश लोग इसे आसानी से समझते हैं। इसलिए प्रशासनिक भाषा को सरल बनाना आवश्यक है ताकि आमजन और अधिकारियों को स्पष्ट रूप से समझ में आए।
उन्होंने बताया कि इस दिशा में पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सुझाव दिया गया है कि उर्दू और फारसी शब्दों की सूची तैयार की जाए, उनके हिंदी समकक्ष निर्धारित किए जाएं और एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री को भेजा जाए। डीजीपी ने भी इस विषय में निचले स्तर के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्री बेढम ने यह भी कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रशासनिक कार्यों का अधिकतम सरलीकरण हो, जिससे अर्थ का अनर्थ न हो और सभी वर्गों को न्याय और समझ दोनों प्राप्त हो सके।
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