लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सांसद चौधरी ने कहा कि जालौर-सिरोही में कम बारिश होने के कारण भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है। इसके चलते दोनों जिले डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। खोसला कमेटी की 1 सितंबर 1965 की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात-राजस्थान के बॉर्डर पर कडाणा बांध बनाना प्रस्तावित था। 1 अक्टूबर 1966 को राजस्थान और गुजरात सरकार के बीच हुए माही जल बंटवारा समझौते में कडाणा बांध का निर्माण किया गया था।
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समझौते के अनुसार, गुजरात के खेड़ा जिले को कडाणा बांध से तब तक पानी मिलना था जब तक नर्मदा का पानी नहीं आता। अब खेड़ा जिले को नर्मदा का पानी मिल रहा है, इसलिए समझौते के अनुसार कडाणा एवं माही बांध के पानी का 2/3 भाग राजस्थान के सिरोही-जालौर के लिए तय हो चुका था। यह पानी सिरोही-जालौर के हक में आना चाहिए था, लेकिन अब तक नहीं मिला है।
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बीते 37 साल में 1.30 लाख एमसीएम पानी हो चुका है बर्बाद
सांसद चौधरी ने बताया कि कडाणा बांध का पानी ओवरफ्लो होकर सुजलाम नहर के माध्यम से समुद्र में बह रहा है। इसको लेकर गुड़गांव की वापकॉस कंपनी द्वारा सर्वे किया गया था, जिसमें बताया गया कि बीते 37 सालों में 27 बार ओवरफ्लो के कारण 1.30 लाख एमसीएम पानी समुद्र में बहकर बर्बाद हो गया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस पानी को रोकने के लिए राजस्थान और गुजरात सरकार की संयुक्त बैठक बुलाई जाए। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर इस पर कार्य स्वीकृत किया जाए। उन्होंने बताया कि जवाई नदी सुमेरपुर, शिवगंज, आहोर, जालौर, सायला होते हुए बाड़मेर तक जाती है और इस नदी के किनारे बसे सभी गांवों के लोग पेयजल और सिंचाई के लिए इस पर निर्भर हैं।
जवाई नदी को पुनर्जीवित करने के लिए किया जाए कार्य
सांसद चौधरी के अनुसार, जवाई बांध के निर्माण के बाद से अब तक जवाई नदी में प्रवाह नहीं होने के कारण भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। कई वर्ष पूर्व अच्छी बरसात होने से सहयोगी नदियों से पानी आता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कम बारिश होने के कारण नदी में पानी नहीं आया है। इसी वजह से नदी किनारे के अधिकांश कुएं सूख गए हैं और बोरवेल में पानी 600 से 800 फीट नीचे चला गया है। वहीं, नीचे से खारा पानी आने के कारण भूमि की उर्वरता भी लगातार खराब हो रही है। किसानों और स्थानीय जनता की मांग है कि जवाई बांध के पानी का हिस्सा तय कर उसे जवाई नदी में छोड़ा जाए, ताकि नदी को पुनर्जीवित किया जा सके।
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