जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। इस बार आरोप सीधे कुलपति अल्पना कटेजा पर लगे हैं, जिन पर वित्तीय, प्रशासनिक और अकादमिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। छात्रों और विपक्षी नेताओं की शिकायतों के आधार पर राज्यपाल सचिवालय ने इस मामले की जांच के आदेश देते हुए जयपुर के संभागीय आयुक्त को पत्र लिखा है।
राज्यपाल को मिली शिकायतों में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीच प्रक्रिया में नई अधिसूचना जारी कर साक्षात्कार के नियमों में बदलाव कर दिया, जो यूजीसी के निर्धारित मानकों के विरुद्ध था। छात्रों ने इसे शैक्षणिक धोखाधड़ी करार दिया और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
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छात्रों की ओर से तीन अप्रैल को राज्यपाल को एक पत्र सौंपा गया था, जिसमें विश्वविद्यालय में व्याप्त वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक गड़बड़ियों की शिकायत की गई थी। इसके बाद 16 अप्रैल को विपक्ष के वरिष्ठ नेता टीकाराम जूली ने भी इसी मुद्दे को उठाते हुए राज्यपाल को पत्र भेजा और तत्काल जांच की मांग की।
इन आरोपों में सबसे गंभीर आरोप विश्वविद्यालय परिसर में निर्मित संविधान पार्क से जुड़ा है। छात्रों का कहना है कि 2024 में बने इस पार्क में न केवल वित्तीय घोटाला हुआ, बल्कि इसके स्तंभों पर ऐतिहासिक तथ्यों को भी गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। छात्रों ने बताया कि इस मामले में एक जांच समिति का गठन भी किया गया था, परंतु उसके निष्कर्षों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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छात्र नेता राहुल कुमार ने कुलपति के खिलाफ 26 सूत्रीय आरोप-पत्र राज्यपाल को सौंपा है। इसमें दावा किया गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मूलभूत ज़रूरतों की अनदेखी कर रहा है। छात्रावासों की स्थिति बेहद खराब है। वहीं कुलपति अपने सरकारी आवास की साज-सज्जा पर खर्च कर रही हैं। आरोप है कि छात्रों के लिए आवंटित बजट का दुरुपयोग निजी हितों के लिए किया गया है।
इस पूरे मामले में राजस्थान विश्वविद्यालय के पोस्ट डॉक्टरल फेलो डॉ. सज्जन कुमार सैनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि तानाशाही एवं भ्रष्टाचारी अधिकारियों का विश्वविद्यालय में कोई स्थान नहीं है। ऐसे लोगों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। आम छात्रों के पैसों का दुरुपयोग करने वाले कुलपति को बर्खास्त किया जाना चाहिए। राज्यपाल सचिवालय द्वारा संभागीय आयुक्त को भेजे गए जांच आदेश से उम्मीद है कि विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं की परतें खुलेंगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी