राजस्थान की राजधानी जयपुर एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बनने जा रही है। कांग्रेस पार्टी कल रामलीला मैदान में ‘संविधान बचाओ महारैली’ का आयोजन करने जा रही है। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मुख्य वक्ता होंगे और मंच से हुंकार भरेंगे।
पार्टी ने इस आयोजन को केवल एक सभा नहीं, बल्कि आगामी चुनावों के लिए बिगुल बजाने के रूप में तैयार किया है। खरगे के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, सहित कई वरिष्ठ नेता भी जनसमूह को संबोधित करेंगे।
केंद्र सरकार पर सीधा निशाना
कांग्रेस ने इस रैली को ‘संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई’ करार दिया है। हालांकि असली निशाना केंद्र की मोदी सरकार पर रहेगा। पार्टी नेताओं का आरोप है कि भाजपा सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है और आम जनता के अधिकारों का दमन कर रही है। रैली के माध्यम से कांग्रेस भाजपा के खिलाफ तीखा राजनीतिक संदेश देने की तैयारी में है।
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भीड़ जुटाने के लिए पूरी ताकत
रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने जयपुर समेत दौसा, टोंक, अजमेर, सीकर, झुंझुनूं और सवाई माधोपुर जिलों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और आम जनता को लाने की व्यवस्था की है। विधायकों, सांसदों और संगठन के सभी स्तरों के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी का मानना है कि जितनी बड़ी भीड़ होगी, संदेश उतना ही प्रभावी होगा।
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दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग पर फोकस
कांग्रेस की रणनीति साफ है दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधना। पार्टी जानती है कि आगामी चुनावों में इन वर्गों का समर्थन निर्णायक भूमिका निभाएगा। ‘संविधान खतरे में है’ का भावनात्मक संदेश देकर कांग्रेस इन समुदायों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रही है। इस रैली को देशभर में होने वाली ऐसी सभाओं की एक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा में हलचल
कांग्रेस की इस आक्रामक रणनीति को देखते हुए भाजपा खेमे में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष के हमलों से निपटने के लिए रणनीति पर काम हो रहा है। हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और संविधान और जनता के अधिकारों के मुद्दे पर मोदी सरकार को सीधी चुनौती देंगे।