आबूरोड की नगरपालिका में विकास कार्यों में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर अब सख्त कार्रवाई की शुरुआत हो गई है। कांग्रेस पार्षद शमशाद अली अब्बासी की ओर से की गई शिकायतों के बाद विधानसभा याचिका समिति ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और स्थानीय निकाय विभाग (डीएलबी) को जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला?
पार्षद शमशाद अली ने आरोप लगाया है कि नगरपालिका में कई विकास कार्य नियमों को तोड़कर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की कई शिकायतें उन्होंने पिछले तीन महीनों में प्रशासन और डीएलबी को भेजी थीं, लेकिन बीजेपी सरकार के दबाव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने पांच शिकायतें विधानसभा याचिका समिति को भेजीं, जिन पर अब जांच शुरू हो गई है।
किन मामलों में होगी जांच?
भूमि उपयोग परिवर्तन का मामला:
10,000 वर्गफीट जमीन को आवासीय से अस्पताल प्रयोजन के लिए बिना अधिकार के बदला गया। डीएलबी ने पूछा है कि यह जमीन किस क्षेत्राधिकार में आती है – नगर पालिका या नगर सुधार न्यास (यूआईटी)?
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कचरा पात्र की खरीद:
नगर पालिका ने नियमों के खिलाफ कचरा पात्र खरीदे। डीएलबी ने उनके साइज, कीमत, संख्या और खरीद प्रक्रिया की जानकारी मांगी है।
सीसीटीवी कैमरे का मामला:
80 लाख रुपये की लागत से लगाए गए कैमरों की संख्या, दर, उपयोगिता और खरीद प्रक्रिया की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।
बिल्डिंग परमिशन में फर्जीवाड़ा:
एक स्कूल की तीन मंजिला इमारत को बिना सेटकबैक के आवासीय नक्शा पास कर दिया गया। इस पर भी जांच के निर्देश हैं।
सामान की खरीद में घोटाला:
जुलाई 2024 से दिसंबर 2024 के बीच बिना टेंडर के लाखों का सामान खरीदा गया। पार्षद का आरोप है कि एक ही फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए कोटेशन के आधार पर बिजली और निर्माण कार्य करवाए गए।
जांच कैसे होगी?
डीएलबी ने आबूरोड नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को नोटिस जारी कर सभी मामलों की रिपोर्ट दस्तावेजों के साथ भेजने को कहा है। रिपोर्ट में साफ-साफ यह बताया जाना चाहिए कि किस नियम के तहत क्या काम किया गया और कौन जिम्मेदार है।
पार्षद शमशाद अली ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा समिति की जांच भी पारदर्शी नहीं हुई तो वे इस मामले को उच्च न्यायालय जोधपुर या भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय पाली में लेकर जाएंगे।