पहले भी गवां चुके जान शहर में कुछ लोग अवैध रूप से किए जा रहे फाइनेंस के धंधे में 10 रुपए से अधिक प्रति सैकड़ा की भारी ब्याज दर से धन वसूली करते हैं। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अवैध फाइनेंस का धंधा आर्थिक शोषण का जरिया बन चुका है। बीते शुक्रवार की शाम की यह घटना शहर में हो रहे अवैध फाइनेंस कारोबार की भयावहता को उजागर करती है। मुकेश कुमार की आत्महत्या करने के पीछे फाइनेंस का भारी भरकम ब्याज ही कारण बताया जा रहा है। नागरिकों ने बताया कि फाइनेंसर भारी भरकम ब्याज के लालच में युवाओं को आसानी से रुपए उपलब्ध करवा देते हैं। घरवालों से छिपकर इन फाइनेंसरों को चेक सहित अन्य दस्तावेज सौंपकर रुपए ले लेते है। लेकिन भारी भरकम ब्याज की राशि अदा नहीं कर पाने के चलते आखिरकार वह मौत को गले लगा लेते हंै।(पसं.)
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फाइनेंसर ने चार घंटे में 35 से ज्यादा बार किया फोन, धमकाने का आरोप, सूदखोरों के चक्कर में गंवानी पड़ी जान | The financier called more than 35 times in four hours, accused of threatening, lost his life due to moneylenders

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